राजस्थान में लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी को इस बार करारा झटका लगा है। मिशन 25 का ख्वाब देखने वाली बीजेपी को महज 14 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा। बीजेपी को हुए इस नुकसान को लेकर सियासत में हलचल मची हुई है। बीजेपी के नुकसान के पीछे पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की बेरुखी को भी महत्वपूर्ण कारण माना जा रहा है। सियासी चर्चा है कि यदि वसुंधरा राजे चुनाव प्रचार में सक्रिय रूप से भागीदारी निभाती तो शायद यह नुकसान कम हो सकता था। इधर, भीलवाड़ा के नवनिर्वाचित सांसद दामोदर अग्रवाल वसुंधरा राजे के बचाव में उतरते नजर आए। उन्होंने इस सियासी चर्चा पर करारा जवाब देने की कोशिश की है। दामोदर अग्रवाल ने वसुंधरा राजे के और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के पक्ष में जो तर्क दिया है उसकी सियासत में जमकर चर्चा हो रही है।भीलवाड़ा सांसद दामोदर अग्रवाल इंटरव्यू के दौरान वसुंधरा राजे का बचाव करते हुए नजर आए। उनसे पूछा गया कि इस लोकसभा चुनाव में वसुंधरा राजे अपने बेटे दुष्यंत सिंह की बारां- झालावाड़ की लोकसभा सीट को छोड़कर कहीं नहीं गई। इसके कारण बीजेपी को राजस्थान में नुकसान उठाना पड़ा है। इस पर दामोदर अग्रवाल ने तर्क देते हुए कहा कि मुझे नहीं लगता कि वसुंधरा राजे एक्टिव नहीं रही, अगर एक्टिव नहीं रहती, तो दुष्यंत इतने बड़े मतों से नहीं जीतते। उन्होंने वसुंधरा राजे का बचाव करते हुए कहा कि कोई भी व्यक्ति पहले खुद की जीत को फोकस करता है। इस दौरान उन्होंने खुद का और प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी का भी उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि मैं भी बीजेपी का महामंत्री हूं, मैं भी भीलवाड़ा से चुनाव लड़ा। इसके कारण कहीं दूसरी जगह नहीं जा सका। इस तरह सीपी जोशी ने भी अपनी ही सीट पर ज्यादा ध्यान दिया। दामोदर अग्रवाल के दिए बयान के बाद जमकर सियासी चर्चा चल रही है। राजनीतिक जानकार इसके अपने मायने निकाल रहे हैं। चर्चा है कि वसुंधरा राजे तो राष्ट्रीय स्तर की नेता हैं ऐसे में उनके बेटे दुष्यंत सिंह की सीट के अलावा भी राजस्थान की अन्य सीटों पर भी फोकस किया जाना चाहिए था। रही बात दामोदर अग्रवाल के बयान की तो उनका कद वसुंधरा राजे से कम ही है। ऐसे में दामोदर अग्रवाल ने वसुंधरा राजे को लेकर जो तर्क दिया उससे राजनीतिक जानकर भी सहमत नहीं दिखाई दे रहे हैं।