बूंदी - बस स्टैंड अधिकारियों की लापरवाही के कारण प्राइवेट वाहन स्टैंड बन कर रह गया। बस स्टैंड केअधिकारी चाहे तो बस स्टैंड के अंदर स्थित प्राइवेट
वाहन स्टैंड को ठेके पर दे सकती है जिससे बूंदी बस स्टैंड को लाखों रुपए की आमद हो सकती है।
पूर्व में भी बूंदी बस स्टैंड के प्राइवेट वाहन स्टैंड को ठेके पर दे रखा था जिससे प्राइवेट वाहन वही अंदर आता था जिसे अपना वाहन स्टैंड पर खडा करना होता था।
अब बूंदी बस स्टैंड पर अनावश्यक रूप से दो दर्जन से भी अधिक चौपहियां और दो पहिया वाहन आडे तिरछे खड़े रहते हैं। जिससे रोडवेज की बसों के संचालन में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। और अब तो हद हो गई ऑटो वाले भी अपने ऑटो को बस स्टैंड के अंदर ही खडे करने लगे हैं। लेकिन उन्हें रोकने वाला ,ऐसा लगता है जैसे रोडवेज प्रशासन में कोई नहीं है।
प्राइवेट वाहनों को बस स्टैंड के अंदर आने से रोका जावे तो रोडवेज बसों के आने जाने में ओर संचालन में सुविधा हो सकती है। लेकिन यह तभी संभव हो सकता है जब रोडवेज बस स्टैंड में कार्यरतअधिकारियों और कर्मचारियों में कार्य करने की इच्छा शक्ति हो।
बस स्टैंड पर नहीं है महिलाओं के लिए टायलेट की
व्यवस्था,
जिला मुख्यालय पर स्थित बस स्टैंड पर पूर्व में बने शोचालय में गंदगी रहने से वहां पर महिलाऐ टायलेट नहीं जा पाती, पूर्व में यहां पर रोड भी अव्यवस्थित ओर गड्ढे युक्त बना हुआ था जिसे नगर परिषद द्वारा लगभग 2 करोड़ की लागत से सुव्यवस्थित तरीके से बनाया गया। लेकिन बड़े दुख की बात है कि
जिला मुख्यालय पर स्थित बस स्टैंड पर महिलाओंके लिए टायलेट की व्यवस्था नहीं है। बस स्टैंड पर दोनों साइड पर दो टायलेट महिलाओं और पुरुषों के लिए
छ माह से निर्माणाधीन है जो आज तक पूर्ण नहीं हुए है। इस बारे में पूर्व में आगर प्रबंधक से बात की गई तो वह बजट नहीं होने का रोना रोने लगे। एक ओर सरकार महिला शक्ति करण की बात करती है। ओर दूसरी और महिलाओं के लिए जिला मुख्यालय पर बस स्टैंड पर टॉयलेट की व्यवस्था नहीं होना बड़ा ही निराशाजनक है। जिला प्रशासन को इस और ध्यान देने की आवश्यकता है।