जम्मू-कश्मीर सरकार ने बिट्टा कराटे की पत्नी सहित चार सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है. सरकारी सूत्रों ने बताया कि इन चारों को आतंकियों से संबंधों के कारण सेवाओं से बर्खास्त कर दिया गया है.बिट्टा कराटे आतंकी आरोपों का सामना कर रहा है और कश्मीरी पंडितों की हत्या के मामले में आरोपी है. जम्मू और कश्मीर प्रशासन ने शनिवार को जिन चार कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया उसमें आतंकी सरगना सैयद सलहुद्दीन के बेटा भी शामिल है. इन चार कर्मचारियों को संविधान के अनुच्छेद 311 के तहत सेवा से बर्खास्त कर दिया गया. जो सरकार को बिना किसी जांच के अपने कर्मचारियों को बर्खास्त करने में सक्षम बनाता है.फारूक अहमद दार उर्फ बिट्टा कराटे वर्तमान में आतंक-वित्त पोषण के मामलों में जेल में है. जम्मू और कश्मीर प्रशासनिक सेवा की अधिकारी उसकी पत्नी गसेबाह-उल-अरजमंद खान ग्रामीण विकास निदेशालय में तैनात थी. उद्योग और वाणिज्य विभाग में सूचना और प्रौद्योगिकी के प्रबंधक सैयद अब्दुल म्यूद, सैयद सालहुद्दीन के बेटे हैं. जो प्रतिबंधित आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन का प्रमुख है. जिन दूसरों लोगों को बर्खास्त किया गया है उनमें डॉ. मुहित अहमद भट, (वैज्ञानिक) और कश्मीर विश्वविद्यालय में नियुक्त माजिद हुसैन कादिरी (वरिष्ठ सहायक प्रोफेसर) शामिल हैं.

बिट्टा कराटे का नाम द कश्मीर फाइल्स फिल्म के बाद एक बार फिर से सुर्खियों में आया है. उस पर 20 निर्दोष कश्मीरी पंडितों की सामूहिक हत्या करने का आरोप लगाया जाता रहा है. फिर भी इस मामले में उसे कोई सजा नहीं हो सकी है. आतंकवादी फारूक अहमद दार उर्फ ‘बिट्टा कराटे’ ने एक चौंकाने वाले वीडियो में कबूल किया था कि कश्मीर घाटी में आतंकवाद के शुरुआती दौर में जिन पहले कश्मीरी पंडितों की हत्या हुई थी, उनमें से एक सतीश टिकू की हत्या उसने की थी.ऐसा कहा जाता है कि कश्मीर घाटी में किसी भी उपद्रव या आतंकी घटना के पीछे जिन कुछ लोगों की एक बड़ी भूमिका रहती थी, उनमें बिट्टा कराटे भी एक है. कई ऐसे वीडियो भी सामने आ चुके हैं जिनमें बिट्टा कराटे को पैसे लेकर घाटी में पत्थरबाजी के लिए युवाओं को उकसाने की बात कहते देखा गया है. गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर की सरकार ने पिछले एक साल में लगभग 40 सरकारी कर्मचारियों को राज्य की सुरक्षा के लिए खतरा घोषित करते हुए सरकारी सेवा से बर्खास्त कर दिया है.