बूंदी। अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ के जिला संरक्षक पुरुषोत्तम पारीक ने बयान जारी कर कहा कि वर्तमान भजनलाल शर्मा सरकार के सत्तारूढ़ होने के बाद से सरकार के मंत्रियों तथा मुख्य सचिव सहित राज्य सरकार के शीर्ष प्रशासनिक अधिकारियों ने राज्य कर्मचारियों को डराने धमकाने तथा प्रताड़ित करने और कर्मचारी, सरकारी विभागों, सरकारी विद्यालयों व चिकित्सालयों को बदनाम करने का अभियान चला रखा है। इसी क्रम में 24 मई को कार्मिक विभाग द्वारा जारी मुख्य सचिव के अनिवार्य सेवानिवृत्ति आदेश से कर्मचारियों में डर पैदा करने की कोशिश है। सरकार कर्मचारियों में आतंक पैदा करना चाहती है और आमजन को कामगारों के खिलाफ भड़काना चाहती है। इसका अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि सरकार के मंत्री ही नहीं बल्कि सत्ताधारी दल के अनेक नेता भी लगातार कर्मचारियों के खिलाफ जहर उगल रहे हैं। अब तो मुख्यमंत्री ने भी अपने साक्षात्कार में अनिवार्य सेवा निवृत्ति नियम के अनुसार कार्रवाई करने का कहकर कर्मचारियों के डर को बढ़ाने और उन्हें पस्त करने की कोशिश की है। पारीक ने कहा कि सरकार अपनी कर्मचारी विरोधी नीतियों से बाज नहीं आई और कर्मचारियों के खिलाफ जारी अनुचित अभियान नहीं रोका गया तो राज्य का कर्मचारी न्याय के लिए न केवल सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर जाएगा बल्कि सरकार के साजिशपूर्ण कदमों की पोल खोलने के लिए आमजन के बीच भी जाएंगे। सरकार शिक्षा, चिकित्सा तथा जनसेवा की सार्वजनिक संस्थानों का निजीकरण करना चाहती है और सरकारी विभागों का आकार घटाना चाहती है। इन जन विरोधी कार्याे को अंजाम देने के लिए कर्मचारियों को निशाना बनाया जा रहा है ताकि कर्मचारी संगठित रूप से विरोध नहीं कर सके। अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ ने राज्य के शिक्षकों तथा कर्मचारियों से एकजुटता तथा मुखरता से सरकार की इस कर्मचारी विरोधी तथा जन विरोधी मुहिम के खिलाफ आवाज बुलंद करने का आह्वान किया है।