चेन्नई। मद्रास हाई कोर्ट ने कोमा में पड़े एक व्यक्ति एम. शिवकुमार की पत्नी एस. शशिकला को उसकी एक करोड़ रुपये से अधिक की अचल संपत्ति को बेचने या गिरवी रखने और उस पैसे का उसकी चिकित्सा में इस्तेमाल करने की अनुमति प्रदान कर दी है।अदालत ने यह भी आदेश दिया कि संपत्ति को बेचने या गिरवी रखने से मिले पैसे का परिवार के भरण-पोषण में भी इस्तेमाल किया जा सकेगा।मद्रास हाई कोर्ट की जस्टिस जीआर स्वामीनाथन और जस्टिस पीबी बालाजी की खंडपीठ ने बुधवार को एकल पीठ के आदेश को पलट दिया। एकल पीठ ने 23 अप्रैल को शशिकला की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें उसने खुद को अपने पति शिवकुमार का अभिभावक नियुक्त करने की मांग की थी जो इस वर्ष की शुरुआत से कोमा में है।
अभिभावक के रूप में नियुक्ति के लिए रिट याचिका पर सुनवाई नहीं
शशिकला ने साथ ही अपने पति के बैंक खाते का संचालन करने और जरूरत होने पर चेन्नई सेंट्रल स्टेशन के पास स्थित अचल संपत्ति को बेचने या गिरवी रखने की अनुमति मांगी थी। एकल पीठ का कहना था कि अभिभावक के रूप में नियुक्ति के लिए रिट याचिका पर सुनवाई नहीं की जा सकती, खासकर तब जबकि मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017 में वित्तीय पहलू से निपटने का कोई प्रविधान नहीं है। एकल पीठ ने अभिभावक के रूप में नियुक्ति के लिए याचिकाकर्ता को दीवानी अदालत जाने को कहा था।