कोच्चि। केरल हाई कोर्ट की एक खंडपीठ ने कहा है कि कहा कि जब तक कोई ऐसा आचरण सिद्ध न हो जाए जो किसी एक अभिभावक को हिरासत के अधिकार के अयोग्य ठहराता हो, तब तक बच्चे के सर्वोत्तम हित में यह है कि उसे दोनों अभिभावकों से प्यार और सहयोग मिले।मां की दायर एक वैवाहिक अपील पर सुनवाई करते हुए केरल हाईकोर्ट ने बच्ची (11 वर्ष) से बातचीत की और पाया कि उसे पिता के साथ समय बिताने में कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन उसने रात भर कस्टडी सहित लंबे समय तक पिता के साथ रहने में अनिच्छा व्यक्त की।