विधुत वितरण की समस्या के समाधान के लिए सरकार पर पूर्णतया विफल होने का आरोप लगाते हुए बून्दी विधायक हरिमोहन शर्मा ने कहा कि इस ग्रीष्मकाल में जितने यूनिट बिजली की आवश्यकता थी उसमें वर्तमान सरकार के गठन के बाद कोई विचार विमर्श नहीं किया कि ग्रीष्मकाल में आने वाले बिजली संकट का समाधान कैसे हो। साथ ही विभाग को कितनी बिजली अन्य प्रदेशों को देना है वह भी नहीं देखा। अगर यह देख लेते और अनुमान लगा लेते और आवश्यकतानुसार अन्य प्रदेशों से बिजली खरीद लेते तो यहां के नागरिकों को यह भीषण गर्मी का दुःख सहन नहीं करना पड़ता।
विधायक शर्मा ने कहा कि इस अव्यवस्था के लिए पूर्ववर्ती सरकार को जिम्मेदार बताना वर्तमान ऊर्जा मंत्री का दिवालियापन के अलावा कुछ नहीं है अगर विभाग के रहते हुए यह सब आकलन मंत्री कर लेते तो राजस्थान के नागरिकों और उनके बच्चों को भीषण गर्मी की रात्रियों में तड़पना नहीं पड़ता। पूर्ववर्ती सरकार ने तो किसानों की रबी की फसल को बचाने के लिए भी अन्य प्रदेशों से अग्रिम समझौते किए थे जिसके कारण किसानों की रबी की फसल बच पायी। इन्होंने कहा कि एक ओर तो मुख्यमंत्री जी असत्य बोलकर कहते हैं कि राजस्थान में कोई बिजली कटौती नहीं है और दूसरी तरफ राजस्थान के ऊर्जा मंत्री कटौती के बजाय लोड शेयरिंग के नाम से 5 से 6 घंटे गांव में कटौती कर रहे हैं जो अनुचित है।
भीषण गर्मी में बिजली की अव्यवस्था के लिए पूर्णतया सरकार और ऊर्जा मंत्री को दोषी ठहराते हुए विधायक शर्मा ने कहा कि इनको यह याद है कि प्रदेश में प्रतिदिन लगभग 5 फीसदी बिजली एग्रीमेंट के अनुसार दूसरे प्रदेशों को देना था, लेकिन उसकी वैकल्पिक व्यवस्था करने का काम वर्तमान सरकार का था। यह बिजली एक्सचेंज में जितनी बिजली की आवश्यकता थी उसका एग्रीमेंट नहीं करने के दोषी हैं।
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माननीय ऊर्जा मंत्री से मेरा विनम्र अनुरोध है की पूर्ववर्ती सरकार पर अनर्गल आरोप लगाने की बजाय अपनी ऊर्जा का उपयोग व्यवस्था सुधारने में करें और तत्काल प्रभाव से इस समस्या का समाधान करें। अगर व्यवस्था नहीं सुधरी तो बूंदी जिले के विद्युत उपखंड कार्यालयों में कांग्रेस कार्यकर्ता आमजन सहित धरना प्रदर्शन कर विरोध करेंगे।
हरिमोहन शर्मा, विधायक बूंदी