बून्दी। पूर्ववर्ती कंाग्रेस सरकार के समय 90 लाख की लागत से डाबी रेंज के जाखमूंड वनखंड मे ग्राम तुलसी से रामपुरिया तक ग्रामीणो की मांग पर स्वीकृत हुई ढेड किलोमीटर नवनिर्मित सडक वन विभाग व सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधिकारियो की नादानी और राजनेतिक दबाव की भेट चढ गई और विकास विरोधी का खिताब लेकर बैठे वन विभाग ने सरकारी पैसे से बनी ढेड किलोमीटर सडक को ग्रामीणो के विरोध के बावजूद खुर्द बुर्द कर दिया। पूरे मामले मे वन विभाग की कार्यवाही को राजनैतिक दबाव से जोडकर देखा जा रहा है। 

सोमवार देर रात्रि को जाखमूंड रेंजर हेमराज ने वनकर्मियो के साथ नवनिर्मित सडक पर पुहंचकर जेसीबी की मदद से चार से पांच जगहों पर करीब 25 से 35 फीट तक को तुड़वाया दिया। जो कि वन विभाग की दूषित कार्यप्रणाली की और इशारा कर रहे है। तमाम कार्यवाही के बीच प्रश्न यह उठता है कि लोकसभा चुनाव से पूर्व वन विभाग कागजो पर ही संवदेक पर कार्यवाही का डंडा चलाता रहा और संवेदक ने सडक का निर्माण कर दिया और वन विभाग हाथ पर हाथ धरे बैठा रहा और अब राजनैतिक दबाव मे वन विभाग के अधिकारियो ने अपने उपर कार्यवाही से बचने के लिये नियमो को आड मे लेकर सरकारी संपति को खुुर्दबुर्द सरकारी राशि का नुकसान कर दिया। 

यह कहना है विकास विरोधी वन विभाग का

राज्य सरकार से नोटिफाइड और आरवीटीआर का बफर जोन जाखमूंड वनखंड में रामपुरिया गांव को जिसे कोटा-बूंदी हाइवे से जोड़ने के लिए पीडब्ल्यूडी ने नियम विरूद्ध जाकर दो से ढाई किमी लंबी सड़क बना दी। जबकि, इसके लिए विभाग ने एफसीए-1980 के तहत भूमि डायवर्जन की कार्यवाही नहीं की गई और न न ही वाइल्ड लाइफ क्लियरनेंस ली गई, जो कि वन संरक्षण अधिनियम 1980 का खुला उल्लंघन है। मामले में संभागीय मुख्य वन संरक्षक ने भी पीडब्ल्यूडी द्वारा बिना एफसीए के वन भूमि पर बनाई गई सड़क को तोड़े जाने और विभाग के खिलाफ वन संरक्षण अधिनियम 1980 के तहत मुकदमा दर्ज करने की बात कही है। वन विभाग के अनुसार ओर से जारी किए गए केएमएल फाइल (सेटलाइट नक्शे) के अनुसार यह जगह डिविजन बूंदी, रेंज-डाबी, ब्लॉक-जाखमूंड और 2276.29 हैक्टेयर वनभूमि सरकार से नोटिफाइड है। पीडब्ल्यूडी ने वन संरक्षण अधिनियम 1980 का उल्लंघन करते हुए वन भूमि पर सड़क बनवाई है। पूर्व में भी तालेड़ा एईएन को दो बार नोटिस देने व ठेकेदार की ट्रैक्टर-ट्रॉली, कंक्रीट मशीन व पानी का टैंकर जब्त करने की बात वन विभाग कह रहा है। 

संवेदक को बली का बकरा बना रहा वन विभाग

डाबी रेंज के जाखमुंड वन खंड मे हुआ सडक निर्माण वन विभाग की मिलीभगत के बिना संभव नही था। रेंज के एक हिस्से मे ढेड किलोमीटर की सडक बन जाये और वन विभाग देखता रहे या नोटिस ही देता रह जाये यह कैसे संभव था। वन विभाग सडक पूर्ण बनने का इंतजार करता रहा और जैसे ही सडक पूरी बनी वन विभाग के उच्चाधिकारियो के सरंक्षण मे रेजर ने सडक को खुर्दबुर्द कर दिया। अब वन विभाग खुद को बचाने के लिये सार्वजनिक निर्माण विभाग को दोषी ठहराते हुये ठेकेदार की बली चढाने पर तुला हुआ है। 

इनका कहना है...................

राजनीतिक द्वेषता से सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। गत सरकार द्वारा 90 लाख रुपए की लागत से सार्वजनिक निर्माण विभाग द्वारा तुलसी से रामपुरिया 1.2 किमी सड़क निर्माण कार्य आमजन के हितों को देखते हुए स्वीकृत किया था। परंतु इस क्षेत्र के गावों मैं गत लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के पक्ष में माहौल देखकर राजनीतिक दबाव के कारण वन विभाग द्वारा सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जा रहा है और नवनिर्मित सड़क को तोड़ दिया गया जो की निंदनीय है। जब इस सड़क का निर्माण कार्य प्रारंभ किया गया था तब वन विभाग मौन था ठीक उसी प्रकार गोलपुर में लाइट के खंबे लगाए जा रहे थे उसे समय वन विभाग मौन था और जैसे ही कार्य पूर्ण हुआ तो विभाग उन्हें तोड़ने के लिए पहुंच गया। हरिमोहन शर्मा, विधायक बूंदी