भीषण गर्मी के बीच राजस्थान के कई शहरों में बिजली और पानी की समस्या गहरा गई है. इससे निजात पाने के लिए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने निर्बाध आपूर्ति के निर्देश दिए है. सीएम के निर्देश के बाद ऊर्जा विभाग के अधिकारी भी हरकत में नजर आए. बुधवार को मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद अतिरिक्त मुख्य सचिव आलोक ने ऊर्जा विभाग की समीक्षा की. इस बैठक में धौलपुर गैस परियोजना से विद्युत उत्पादन फिर से शुरू करने की मंजूरी दी गई. इससे आमजन को राहत देने के लिए 330 मेगावाट क्षमता की परियोजना से जल्द उत्पादन होगा. सूरतगढ़ की 250 मेगावाट क्षमता की इकाई संख्या एक से उत्पादन शुरू हो गया है. इससे प्रदेश में 580 मेगावाट बिजली उपलब्ध हो सकेगी. दरअसल राज्य में आमजन को निर्बाध विद्युत आपूर्ति के लिये ऊर्जा विभाग निरन्तर मॉनिटरिंग कर रहा है. इसी क्रम में मुख्यमंत्री एवं ऊर्जा मंत्री के निर्देश पर अतिरिक्त मुख्य सचिव ऊर्जा आलोक ने बुधवार को भी विद्युत भवन में प्रसारण निगम, डिस्कॉम्स, उत्पादन निगम एवं ऊर्जा विकास निगम के अधिकारियों के साथ प्रदेश में बिजली आपूर्ति एवं पावर मैनेजमेंट की विस्तार से समीक्षा की. बैठक में अतिरिक्त मुख्य सचिव आलोक ने जयपुर जोन के मुख्य अभियंता को निर्देश दिए कि वे हीरापुरा स्थित लोड डिस्पैच सेंटर में ऊर्जा विकास निगम के अधिकारियों के साथ लोड के बेहतर मैनेजमेंट की कार्ययोजना बनाएं. इसी प्रकार सतत् बिजली आपूर्ति के लिए धौलपुर गैस आधारित विद्युत परियोजना की इकाइयों से विद्युत उत्पादन पुनः प्रारम्भ करने का निर्णय किया गया है. ग्रिड से महंगी दरों पर भी मांग के अनुरूप बिजली उपलब्ध नहीं हो पा रही है. इसे देखते हुए राज्य सरकार ने आमजन को राहत देने के लिए कुल 330 मेगावाट क्षमता की इस परियोजना से विद्युत उत्पादन पुनः प्रारम्भ करने की अनुमति दे दी है. वहीं सूरतगढ़ की 250 मेगावाट क्षमता की इकाई संख्या एक से भी आज उत्पादन पुनः प्रारंभ किए जाने से बिजली आपूर्ति में सुधार होगा. इससे प्रदेश में 580 मेगावाट बिजली उपलब्ध हो सकेगी. बैठक में डिस्कॉम्स चैयरमेन श्री भानुप्रकाष एटरू, निदेशक (तकनीकी), संभागीय मुख्य अभियंता (टीएंडसी) के साथ ही डिस्कॉम्स, प्रसारण एवं उत्पादन निगम तथा ऊर्जा विकास निगम के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे. मुख्यमंत्री के निर्देशों के बाद में सूरतगढ़ उत्पादन केन्द्र की एक इकाई के मरम्मत सबंधी कार्य पूर्ण कर लिए गए है. धौलपुर के गैस आधारित उत्पादन केन्द्र से 200 मेगावाट का उत्पादन भी शीघ्र प्रारंभ होगा. उल्लेखनीय है कि प्रदेश में 23 कोयला आधारित पावर प्लांट में से 21 कार्यरत हैं. सीएम ने पीएचईडी सचिव को निर्देश दिए कि राज्य स्तर और जिलों में स्थापित कंट्रोल रूम पर नियमित रूप से मॉनिटरिंग की जाए. इस दौरान पेयजल संबंधी सभी शिकायतों का त्वरित समाधान किया जाए. उच्च अधिकारी सहित सभी विभागीय अधिकारी फील्ड में जाकर मॉनिटरिंग सुनिश्चित करें. इस दौरान मुख्यमंत्री ने प्रदेश में बढ़ती बिजली की खपत को देखते हुए आमजन से बिजली का सदुपयोग करते हुए बिजली की बचत करने की अपील भी की है.