बून्दी। स्वर्गीय बजरंगदास जी महाराज राधाकृष्ण आश्रम माण्डपुर के शिष्य पुत्र किशनदास की रिपोर्ट पर जिले की देई थाना पुलिस ने कपटपूर्ण दस्तावेज तैयार कर जमीन हडपने पर 9 जनो सहित पटवार हल्का पीपल्या के तत्कालीन पटवारी व सरपंच के खिलाफ धोखाधडी का मुकदमा दर्ज किया है।
किशनदास ने 21 मई 2024 को देई थाने मे उपस्थित होकर कहा कि गुरू शिष्य परम्परा के अनुसार बजरंग दास जी महाराज ने 14 वर्ष की आयु मे ही संत समाज की दीक्षा देकर उन्हे अपना चेला नियुक्त कर दिया था। जिसके बाद वह माण्डपुर स्थित मठ की सम्पति का उतराधिकारी बने क्योकि गुरू शिष्य परम्परा के अनुसार चेला ही उतराधिकारी होता है जो चेले के रूप मे स्वर्गीय बजरंग दास जी की संपति पर काबिज है। पटवार मंण्डल पीपल्या के चिपल्टा ग्राम के बजरंग दास के नाम 8 बीघा कृषि भूमि थी उक्त भूमि की आय से मांण्डपुर आश्रम की जरूरतो को पूरा किया जाता था तथा बजरंगदास जी की मृत्यु के बाद उनके शिष्य किशनदास ही इस कृषि भूमि के मालिक थे। परन्तु गणेश, गिरजा बाई, गीता देवी, बद्री विशाल, रघुनंदन, रामकन्या तथा विष्णु ने बजरंगदस जी की संपति हडपने की गरज से गलत रूप से उतराधिकारी बनकर 4 फरवरी 2024 को इन्तकाल संख्या 578 खुलवाकर 12 फरवरी 2024 को नामान्तरण अपने पक्ष मे स्वीकृत करवा लिया। इस काम मे पीपल्या के तत्कालीन पटवारी व सरपंच ने भी सहयोग किया। किशनदास द्वारा दर्ज करवाई गई रिपोर्ट पर देई थाना पुलिस ने धारा 420,467,468,471,120 बी मे मुकदमा दर्ज किया है। प्रकरण की जांच देई थाने के सहायक उपनिरीक्षक कृष्ण कुमार अहीर कर रहे है।
ग्रामीणो ने यह लिखा पंचनामा
माण्डपुर के ग्रामीणो द्वारा लिखे गये पंचनामे मे उल्लेख है कि ग्राम चिपल्टा मे बाबा बजरंगदास जी महाराज के नाम कृषि भूमि है जिसके खाता संख्या 44 है रकबा 1.3835 हेक्टर है यह जमीन बाबा बजरंग दास द्वारा राधाकृष्ण आश्रम के लिये ली थी। उक्त जमीन की आय को राधाकृष्ण मंदिर व आश्रम के कार्यो मे खर्च किया जाता है। बाबा की मृत्यु हो गई तो उक्त जमीन का नामान्तरण उनके वारिसान अपने नाम खुलवाकर जमीन अपने नाम करना चाहते है जबकि बाबा बजरंगदास ने घर परिवार को छोडकर सन्यास धारण किया था जिसके बाद उनके परिवार वालो का कोई लेना देना नही है। बाबा बजरंग दास के वैध वारिसान उनके शिष्य है तथा भूमि का कब्जा भी शिष्य का ही है। पंचनामे मे एक दर्जन से अधिक ग्रामीणो के हस्ताक्षर है।