सर्वे में 93 फीसदी ऐसे लोग हैं जिन्होंने माना है कि भविष्य में एआई व जेन एआई तकनीक लोगों के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं। CyberArk के द्वारा किए गए सर्वे में अधिकतर लोग मानते हैं कि इसकी वजह से भविष्य में फिशिंग और मैलवेयर जैसी घटनाओं को बढ़ावा मिलेगा। बीते एक साल के भीतर ही इसके कई सारे दुरुपयोग देखने को मिले हैं।

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चाणक्य एकेडमी बूंदी (राजस्थान )

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बीते एक डेढ़ साल में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की भूमिका हर सेक्टर में तेजी से बढ़ी है। इस तकनीक ने बहुत से कामों को पहले की तुलना बहुत आसान बना दिया है तो कुछ ऐसी समस्याएं भी हैं, जो उन्नत तकनीक ने लाकर खड़ी कर दी हैं।

अब एक सर्वेक्षण में कहा गया है कि जेन एआई को लेकर दो तरह की धारणाएं हैं, एक तो वह लोग हैं तो भविष्य में इससे बहुत से फायदे होने का दावा करते हैं। लेकिन एक बड़ा हिस्सा वह है जिसको लगता है कि GenAI भविष्य में आम जन जीवन के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है।

सता रहा AI का डर...

सर्वे में 93 फीसदी ऐसे लोग हैं जिन्होंने माना है कि भविष्य में एआई व जेन एआई तकनीक लोगों के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं। CyberArk के द्वारा किए गए सर्वे में अधिकतर लोग मानते हैं कि इसकी वजह से भविष्य में फिशिंग और मैलवेयर जैसी घटनाओं को बढ़ावा मिलेगा। बीते एक साल के भीतर ही इसके कई सारे दुरुपयोग देखने को मिले हैं और आने वाले सालों में इसका दुरुपयोग करने वालों की संख्या में इजाफा ही होगा।

सर्वे में सामने आई ये बात

सर्वे में 18 देशों के तकरीबन 2,400 साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट ने हिस्सा लिया था। जिसमें से अधिकतर लोगों ने माना कि 99 प्रतिशत संगठन साइबर सुरक्षा सिक्योरिटी पहल में एआई की मदद लेते हैं। GenAI भविष्य में जोखिमों की ओर इशारा करता है। कहा गया है कम एक्सपर्ट लोग भी इस तकनीक का सहारा लेकर एआई-संचालित मैलवेयर और फिशिंग जैसी घटनाओं में वृद्धि कर सकते हैं।

सर्वे में 93 फीसदी लोगों का मानना था कि एआई पावर्ड टूल्स के कारण उन्हें साइबर रिस्क जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ा। पिछले 12 महीनों 10 में 8 संगठन ऐसे हैं, जो फिशिंग/विशिंग या अन्य अटैक्स का शिकार हुए हैं।