कोटा

 पश्चिम मध्य रेल प्राइमरी मेंटेनेंस के लिए पर्यावरण संरक्षण के अनुकूल आधुनिक मशीनों की उपयोगिता में हमेशा अग्रणी रहा है। महाप्रबंधक श्रीमती शोभना बंदोपाध्याय की सतत निगरानी एवं कुशल मार्गदर्शन में हरित पहल की दिशा में पश्चिम मध्य रेल द्वारा निरंतर अत्याधुनिक सुविधाओं की उपयोगिता को बढ़ावा देते हुए लाभदायक कदम उठाये जा रहे हैं। इस कड़ी में पश्चिम मध्य रेल पर जबलपुर, रानी कमलापति एवं कोटा के स्टेशनों के कोचिंग डिपो में प्राथमिक रखरखाव के दौरान कोचों की बाहरी धुलाई के लिए *"ऑटोमैटिक कोच वॉशिंग प्लांट" स्थापित किया गया है। जिससे ऑटोमैटिक कोच वॉशिंग प्लांट से जबलपुर में 186 कोचों, रानी कमलापति में 50 कोचों एवं कोटा में 97 कोचों सहित पमरे के तीनों कोचिंग डिपो में औसतन प्रतिदिन 333 कोचों की बाहरी धुलाई की जा रही है।* इन संयंत्रों में पानी की औसत खपत लगभग 65 लीटर/कोच, बिजली की खपत लगभग 1.33 यूनिट/कोच और रासायनिक खपत 150 मिली/कोच है।

         ऑटोमेटिक कोच वॉशिंग प्लांट उच्च दबाव वाले वॉटर जेट जो कि हॉरिजॉन्टल एवं वर्टिकल रोटेटिंग नायलॉन और कॉटन कॉम्बिनेशन ब्रश का उपयोग करके कोचों / ट्रेनों के लिए एक बहुस्तरीय बाहरी सफाई प्रणाली है। जबलपुर, रानी कमलापति एवं कोटा कोचिंग डिपों में दोनों तरफ से रेकों की धुलाई एवं सफाई होती है। कोच की बाहरी सतह को मैनुअल/पारंपरिक तरीकों से सफाई करना मुश्किल हो जाता है। रेलवे के जबलपुर, रानी कमलापति एवं कोटा कोचिंग डिपो में ऑटोमैटिक कोच वॉशिंग प्लांट से ये समस्या खत्म हो गयी है। इस धुलाई प्रणाली से ट्रेनों के कोच बहुत अच्छे साफ और चमकदार दिखते हैं। 

      

*ऑटोमेटिक कोच वॉशिंग प्लांट से रेलवे को कई फायदे हैं*

 

* इन संयंत्रों में पानी बचाने की क्षमता लगभग 1,00,000 किलोलीटर प्रति वर्ष है।

* स्वचालित कोच वाशिंग प्लांट को मैन्युअल धुलाई की तुलना में 66 प्रतिशत कम मानव शक्ति की आवश्यकता होती है

* धुलाई के समय में कमी - मैनुअल कोच धुलाई में 3 से 4 घंटे लगते हैं जबकि ऑटो मैटिक कोच वॉशिंग प्लांट में केवल 6-15 मिनट लगते हैं।

* कम समय के भीतर प्रभावी ढंग से और कुशलता से कोचों को धोने की क्षमता को स्वचालित करता है बल्कि यह पानी की बचत करके पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है।

* यह ऑटोमेटिक प्लांट शौचालय के नीचे कोच/बोगी के क्षेत्र को साफ करने में सक्षम है।

* पर्यावरण के अनुकूल (कम पानी, कम ऊर्जा और कम साबुन)।

* कोचों की धुलाई के लिए उपयोग किए जाने वाले पानी को 'एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट' के माध्यम से ट्रीट किया जा सकता है जिसे रिसाइकिल और पुन: उपयोग किया जाता है। इससे जल संरक्षण में मदद मिलती है।

      

   रेलवे की ऑटोमैटिक कोच वाशिंग प्लांट पर्यावरण के अनुकूल दिशा में एक सकारात्मक कदम है। इसके आलावा ऑटोमेटिक कोच वॉशिंग प्लांट से यात्रियों को सुरक्षित और विश्वसनीय सेवा प्रदान करने के साथ-साथ रेलवे के लिए यात्रियों को साफ-सुथरे कोचों की सुविधा प्रदान करना है।