चैक बाउंस पर राजस्थान हाईकोर्ट की बड़ी खबर। राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा कि चैक बाउंस हुआ है तो कार्रवाई होगी ही, भले ही चैक बाउंस होने का कारण दोनों पक्षों में विवाद ही क्यों न रहा हो? कोई व्यक्ति यह कहकर नहीं बच सकता कि कंपनी पर न कर्जा हुआ और न उधारी हुई, इसलिए करार के अंतर्गत दिए अग्रिम चैक का इस्तेमाल नहीं हो सकता। हालांकि हाईकोर्ट ने अधीनस्थ अदालत को सात साल से लंबित ट्रायल को जल्द पूरी करने का निर्देश दिया। न्यायाधीश अनिल उपमन ने शालीवान सिंह राठौड़ की याचिका को खारिज करते हुए यह आदेश दिया। याचिका में ट्रायल कोर्ट में चल रही चैक बाउंस से संबंधित आपराधिक कार्रवाई को रद्द करने का आग्रह किया था। साथ ही कहा कि मामला चैक बाउंस का नहीं है। उसने तो शिकायतकर्ता को चैक अमानत के तौर पर दिए, जिनका कंपनी को नुकसान होने पर इस्तेमाल होना था और कंपनी को नुकसान हुआ नहीं। उसके कंपनी छोड़ने पर दूसरे पक्ष ने चैक भुनाने के लिए बैंक में पेश कर दिए। इसलिए ट्रायल कोर्ट की कार्रवाई रद्द की जाए। उधर, विरोधी पक्ष ने कहा कि याचिकाकर्ता के करार तोड़ने से नुकसान हुआ, इसलिए चैक भुनाने के लिए बैंक में पेश किए गए।