अमेरिकी इमीग्रेशन वीजा पाने के लिए चार भारतीयों सहित 6 लोगों ने मिलकर नकली चोरी की साजिश रची। दरअसल, अपराध पीड़ितों के लिए अमेरिका में एक रिजर्व इमीग्रेशन वीजा का ऑप्शन शामिल है, जिसका फायदा लेने के लिए चार भारतीयों ने 2 विदेशी नागरिकों के साथ मिलकर पूरी साजिश रची।
इन 4 भारतीयों पर लगा आरोप
इस मामले में शिकागो की सेंट्रल अदालत ने भीखाभाई पटेल, नीलेश पटेल, रवीनाबेन पटेल और रजनी कुमार पटेल और दो अन्य पार्थ नायी और केवोंग यंग के साथ मिलकर नकली चोरी की साजिश रचने के आरोप में मामला दर्ज कर लिया गया है। इन सभी आरोपियों पर खुद को अपराध का पीड़ित बताकर यू गैर प्रवासी दर्जे (U-VISA) के लिए आवेदन करने का दोषी पाया गया है।
क्या होता है U-Visa?
जानकारी के लिए बता दें कि यू-वीजा उन विशेष अपराधों के पीड़ितों के लिए निर्धारित किया गया है, जिन्होंने मानसिक या शारीरिक अपराध झेला है और जो जांच या अभियोजन में कानून प्रवर्तन या सरकारी अधिकारियों के लिए सहायक होते हैं।
ऐसे बनाया था प्लान
अभियोग में आरोप लगाया गया है कि चारों व्यक्तियों ने घोटाले में भाग लेने के लिए नैई को हजारों डॉलर का भुगतान किया। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि नकली डकैती के दौरान कुछ लोग हथियार लेकर कथित पीड़ितों के पास गए और उनसे लूटपाट की और पैसे और संपत्ति की मांग की। बाद में कथित पीड़ितों ने स्थानीय विभाग में शिकायत दर्ज की ताकि वे वीजा आवेदन के लिए सबूत दिखा सके कि वे एक अपराध का शिकार हुए और उन्होंने जांच में सहयोग किया है।
कितने साल की होती है सजा?
न्याय विभाग ने एक बयान में कहा कि प्रमाणीकरण प्राप्त करने के बाद, कुछ कथित पीड़ितों ने डकैती के शिकार के रूप में अपनी कथित स्थिति के आधार पर अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवाओं को धोखाधड़ी वाले यू-वीजा आवेदन पेश किए। मीडिया विज्ञप्ति में कहा गया है कि साजिश के आरोप में संघीय जेल में अधिकतम पांच साल की सजा हो सकती है, जबकि रविनाबेन पटेल के खिलाफ गलत बयान देने के आरोप में अधिकतम दस साल की सजा हो सकती है।