अधिकारी ने कहा कि दिशा-निर्देशों में आवेदन पोर्टल लिंक और परियोजना निगरानी एजेंसी (PMA) के बारे में जानकारी शामिल होगी। 15 मार्च को सरकार ने एक इलेक्ट्रिक-वाहन नीति को मंजूरी दी है जिसके तहत 500 मिलियन अमरीकी डालर के न्यूनतम निवेश के साथ देश में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित करने वाली कंपनियों को शुल्क रियायतें दी जाएंगी। आइए पूरी खबर के बारे में जान लेते हैं।

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शुक्रवार को एक अधिकारी ने कहा कि सरकार इलेक्ट्रिक वाहन (EV) नीति के तहत निवेश करने वाली कंपनियों के लिए विस्तृत दिशा-निर्देशों पर काम कर रही है और हितधारकों के साथ परामर्श का दूसरा दौर जल्द ही होने की उम्मीद है। भारी उद्योग मंत्रालय ने पिछले महीने परामर्श का पहला दौर आयोजित किया है।

नई जानकारी आई सामने 

अधिकारी ने कहा कि दिशा-निर्देशों में आवेदन, पोर्टल लिंक और परियोजना निगरानी एजेंसी (PMA) के बारे में जानकारी शामिल होगी। अधिकारी ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत में ऑटो कंपनियां आवश्यक निवेश के लिए प्रतिबद्धता जताकर प्रोत्साहन प्राप्त करने के लिए नीति के तहत आवेदन कर सकती हैं।

अधिकारी ने कहा, "वे नई नीति के तहत एक निश्चित संख्या में ईवी के आयात लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकते हैं और अर्हता प्राप्त करने के लिए उन्हें हमारे साथ निवेश के लिए प्रतिबद्ध होना होगा।" भारत में पहले से मौजूद कंपनियों को नीति के तहत आवेदन करने के लिए नई सहायक कंपनी पंजीकृत करने की आवश्यकता नहीं है।

क्या है सरकार का प्लान? 

15 मार्च को सरकार ने एक इलेक्ट्रिक-वाहन नीति को मंजूरी दी है, जिसके तहत 500 मिलियन अमरीकी डालर के न्यूनतम निवेश के साथ देश में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित करने वाली कंपनियों को शुल्क रियायतें दी जाएंगी, इस कदम का उद्देश्य यूएस-आधारित टेस्ला जैसी प्रमुख वैश्विक कंपनियों को आकर्षित करना है।

नीति के अनुसार, किसी कंपनी को भारत में विनिर्माण सुविधाएं स्थापित करने, ई-वाहनों का वाणिज्यिक उत्पादन शुरू करने और अधिकतम पांच वर्षों के भीतर 50 प्रतिशत घरेलू मूल्य संवर्धन (DVA) तक पहुंचने के लिए तीन वर्ष का समय मिलेगा।