भले ही राजस्थान भाजपा की सियासत में लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद बड़े बदलाव की बात कही जा रही हो. लेकिन राजस्थान कांग्रेस में संगठन के स्तर पर बदलाव की क़वायद अभी से शुरू हो गई है. कहा जा रहा है कि पीसीसी चीफ के पद के लिए अभी से कांग्रेस के अलग अलग ख़ेमों ने क़वायद शुरू कर दी है. इसमें अशोक गहलोत और सचिन पायलट की भी एंट्री होते देखी जा रही है.हालांकि सब कुछ लोकसभा चुनाव के परिणामों पर निर्भर करेगा. क्योंकि अगर राजस्थान में कांग्रेस लोकसभा चुनाव के रिजल्ट में उम्मीद के मुताबिक़ प्रदर्शन करती है तो हो सकता है गोविंद सिंह डोटासरा को एक्सटेंशन मिल जाए. डोटासरा को जुलाई 2020 में सियासी संकट के समय प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया था. उन्हें इस पद पर क़रीब चार साल का वक़्त हो गया है. विधानसभा चुनाव के बाद से उनके बदले जाने को लेकर चर्चाएं थीं लेकिन लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र उन्हें कंटिन्यू किया गया अब उन्हें आगे वक़्त मिलेगा या नहीं यह सब कुछ आलाकमान पर निर्भर करता है सूत्रों के हवाले से एक बड़ी जानकारी ये भी है कि इस बार पीसीसी चीफ के पद के लिए अशोक गहलोत के नाम की भी चर्चा है. कहा जा रहा है कि अगर केंद्र में मोदी तीसरी बार PM बनते हैं तो अशोक गहलोत राजस्थान की सियासत में ही बने रहना चाहेंगे और राजस्थान में संगठन पर पकड़ बनी रहे इसके लिए उनके ख़ेमे की ओर से PCC चीफ़ के पद को लेकर लॉबिंग की जा रही है. गहलोत मुख्यमंत्री बनने से पहले पीसीसी चीफ पद रह चुके हैं. लेकिन इस बार इस पद के लिए उनका नाम चर्चाओं में होना सबके लिए चौंकाने वाला है. अगर अशोक गहलोत ख़ुद नहीं बने तो फिर अपने खेमे के किसी युवा नेता को यह ज़िम्मेदारी दिला सकते हैं ताकि राजस्थान में कांग्रेस की सियासत पर उनकी पकड़ मज़बूत बनी रहे. इसमें कोई दो राय नहीं है कि राजस्थान में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए सबसे बड़ा नाम सचिन पायलट का है. सचिन पायलट पहले भी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रह चुके हैं और 2018 में कांग्रेस सत्ता में भी आई थी. इस बार भी विधानसभा चुनाव के परिणामों के बाद उन्हें फिर से अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चा थी. कहा गया था कि सचिन पायलट की ओर से दिलचस्पी नहीं दिखाये जाने पर ही डोटासरा को कंटिन्यू करने का निर्णय लिया गया था. लोक सभा चुनाव में राजस्थान कांग्रेस के नेताओं में सचिन पायलट ने सबसे अधिक राज्यों में चुनाव प्रचार किया है ऐसे में अगर पायलट चाहेंगे तो कांग्रेस उन्हें राजस्थान में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का ज़िम्मा दे सकती है. इन तीन नामों के अलावा चर्चा इस बात की भी है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए आलाकमान जातिगत समीकरण भी साधना चाहेगा. दलित नेता के रूप में टीका राम जूली को नेता प्रतिपक्ष की ज़िम्मेदारी दी गई है. ऐसे में OBC या किसी जनरल कास्ट के नेता को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया जा सकता है. इन नेताओं में बात करें तो हरीश चौधरी रघु शर्मा मुरारीलाल मीणा अशोक चांदना जैसे नाम भी शामिल हैं. हालाँकि यह तय है कि राजस्थान के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए नाम तय करने के दौरान कांग्रेस के सभी खेमों की सहमति बनाने की कोशिश भी की जाएगी ताकि अगले विधानसभा चुनाव की तैयारी के लिहाज़ से राजस्थान में मज़बूत संगठनात्मक ढांचा तैयार किया जा सके.
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