राजस्थान में कांग्रेस जब जब सत्ता में आई है ...तो जाट वोटर्स की भूमिका बड़ी रही है और यही वजह है कि ये माना भी जाता है कि जाट वोटर्स कांग्रेस का मूल वोट बैंक रहा है ....लेकिन बीते कुछ सालों से जाट वोटर्स कांग्रेस से दूर हुआ है और यही वजह है कि कांग्रेस भी लगातार राजस्थान में कमजोर हुई ...लेकिन क्या अब हरीश चौधरी राजस्थान में जाट समाज की अगुवाई के लिए तैयार हो  चुके हैं ...बीते कुछ महीनों में हमने हरीश चौधरी की राजनीति में बड़े बदलाव देखे हैं ....जो बताते हैं कि वो अब शायद प्रदेश की राजनीति करने का मन बना चुके हैं .....और शायद दिल्ली से भी उनको संदेश मिल चुका है ...क्योंकि हरीश चौधऱी से सचिन पायलट को भी समस्या नहीं है ....ऐसे में संभावना है कि लोकसभा चुनाव के बाद हरीश चौधरी को प्रदेशाध्यक्ष बना दिया जाए ....क्योंकि कांग्रेस में एक दौर था जब जाट राजनीति चरम पर थी .वहीं अशोक गहलोत पर आरोप लगते हैं कि उन्होंने जाट नेताओँ की राजनीति को खत्म करने का काम किया है और इस वजह से कांग्रेस से जाट जो मूल वोटर्स थे ..वो खिसकते चले गए ....लेकिन हरीश चौधरी के साथ ऐसा नहीं है ...वो सभी को साथ लेकर चलते है...वहीं मूल ओबीसी के मुद्दों पर भी वो मुखर होकर अपनी ही सरकार के खिलाफ आंदोलन कर चुके हैं .....इससे मूल ओबीसी भी उनके साथ है ...वहीं उम्मेदाराम को टिकट दिलाकर उन्होंने जाट समाज को ये भी संदेश दिया है कि वो जाट नेताओं को आगे बढाने के लिए तैयार हैं और अगर उम्मेदाराम जीत जाते हैं तो जीत का श्रेय हरीश चौधरी को ही जाएगा ....ऐसे में ये पूरी सम्भावना है कि कांग्रेस जाट कार्ड राजस्थान में खेलते हुए कह सकती है कि वो राजस्थान के अगला मुख्यमंत्री जाट समाज से बनाएगी ....और इसमें सबसे ऊपर जो नाम नजर आता है वो हरीश चौधरी का है