नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में पश्चिम बंगाल सरकार के मुकदमे पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह मुकदमा सुनवाई योग्य ही नहीं है। केंद्र ने कहा कि सीबीआइ केंद्र सरकार के नियंत्रण में नहीं है। सीबीआइ को केंद्र सरकार का विभाग नहीं माना जा सकता। सीबीआइ दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना (डीएसपीई) अधिनियम के तहत विधायी संस्था है।उधर दूसरी ओर पश्चिम बंगाल सरकार ने केंद्र सरकार की दलीलों का विरोध करते हुए कहा कि जब राज्य सरकार ने सीबीआइ जांच की सहमति वापस ले ली है तो फिर सीबीआइ कैसे केस दर्ज कर जांच कर सकती है। मामले में अगले सप्ताह फिर बहस होगी। पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य में सीबीआइ जांच की आम सहमति 16 नवंबर 2018 में वापस ले ली थी। लेकिन कई मामलों में सीबीआइ पश्चिम बंगाल में जांच कर रही है।

कई मामले कोर्ट से निर्देशित है। मामले पर गुरुवार को न्यायमूर्ति बीआर गवई व संदीप मेहता की पीठ के सुनवाई की। केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने वाद पर आपत्ति उठाते हुए कहा कि यह मुकदमा सुनवाई योग्य नहीं है। कहा अनुच्छेद 131 में मुकदमा सिर्फ तभी दाखिल हो सकता है जबकि विवाद एक या एक से अधिक राज्यों और केंद्र के बीच हो, या फिर एक तरफ एक या एक से अधिक राज्य हों और दूसरी ओर केंद्र व कोई राज्य हो, अथवा विवाद दो या दो से अधिक राज्यों को बीच हो।

इस मामले में ऐसा नहीं है। मेहता ने कहा कि केस सीबीआइ ने दर्ज किये हैं। सीबीआइ केंद्र के नियंत्रण में नहीं है। सीबीआइ को केंद्र सरकार का विभाग नहीं माना जा सकता। वैसे भी यह मुकदमा सुनवाई योग्य नहीं है क्योंकि राज्य सरकार ने ऐसे ही मामले अन्य याचिकाओं में लंबित होने की बात इसमें छुपाई है। अगर मामले में उठाया गया मुद्दा कहीं भी लंबित है तो अनुच्छेद 131 के तहत उस मुद्दे पर मूल वाद नहीं दाखिल किया जा सकता।

दूसरी ओर पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश कपिल सिब्बल ने कहा कि सीबीआइ क्या है, एक जांच एजेंसी है यह कोई विधायी प्राधिकरण नहीं है। यह जांच करने का सरकार का एक अंग है जैसे कि पुलिस होती है। संघीय व्यवस्था में अगर राज्य ने आम सहमति वापस ले ली है तो सीबीआइ राज्य में नहीं घुस सकती। अगर सीबीआइ जांच की निगरानी का पहलू देखा जाए तो सिर्फ भ्रष्टाचार के मामलों की निगरानी सीवीसी के तहत आती है बाकी सभी मामले केंद्र सरकार के तहत आते हैं। सीबीआइ ये नहीं कह सकती कि वह केंद्र की बात नहीं मानेगी और वह स्वतंत्र एजेंसी है।