नई दिल्ली। चुनाव के दौरान समान रूप से धारा 144 (सीआरपीसी) लागू किये जाने को चुनौती देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी करते हुए विचार का मन बनाया है। इसके साथ ही शुक्रवार को कोर्ट ने यह भी अंतरिम आदेश दिया कि अगर कोई चुनाव के बारे में शिक्षित करने के उद्देश्य से यात्रा या सार्वजनिक बैठकें आयोजित करने के लिए आवेदन करता है तो सक्षम अथॉरिटी ऐसे आवेदनों पर तीन दिन में निर्णय लेगी। ये आदेश न्यायमूर्ति बीआर गवई और संदीप मेहता की पीठ ने चुनाव के दौरान समान रूप से धारा 144 लागू रहने का मुद्दा उठाने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिये।
क्या होती है सीआरपीसी की धारा 144 लागू
सीआरपीसी की धारा 144 लागू होने पर किसी भी जगह पांच व्यक्तियों से ज्यादा के एकत्र होने पर रोक रहती है। समान्य तौर पर यह धारा किसी क्षेत्र में शांति भंग होने की आशंका पर लागू की जाती है। लेकिन चुनाव के दौरान भी ये समान रूप से लागू रहती है। समाजसेवी अरुणा राय और निखिल डे ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर लोकसभा और विधानसभाओं चुनावों के दौरान समान रूप से धारा 144 की निषेधाज्ञा लागू किये जाने को चुनौती दी है जिसके चलते जनसभा, यात्रा निकालता, धरना व लोगों के एकत्र होने पर रोक रहती है।
हर चुनाव में धारा 144 की निषेधाज्ञा लागू रहती है
शुक्रवार को याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि यहां बहुत ही अजीब स्थिति है। हर चुनाव में धारा 144 की निषेधाज्ञा लागू रहती है जिससे कि न तो कोई सार्वजनिक बैठक हो सकती है न ही मतदाताओं को जागरूक करने के लिए यात्रा निकाली जा सकती है। उन्होंने राजस्थान के बाड़मेर का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां 16 मार्च को निषेधाज्ञा लगाई गई और वो छह जून तक जारी है।
नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब मांगा
उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने पिछले विधानसभा चुनाव में लोगों को लोकतांत्रिक अधिकारों के प्रति शिक्षित करने के लिए यात्रा निकालने की अनुमति मांगी थी लेकिन उन्हें अनुमति नहीं मिली। इस पर सुनवाई कर रही पीठ ने आश्चर्य जताया और कहा कि ये कैसे हो सकता है। कोर्ट ने याचिका पर केंद्र सरकार व अन्य को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब मांगा है।