सुल्ली डील्स एप बनाने के आरोपित ओंकारेश्वर ठाकुर की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, दिल्ली और महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी किया है।ठाकुर ने सभी एफआइआर को साथ जोड़ने की मांग की है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अलग-अलग मुस्लिम महिलाओं की फोटो डाल कर उनकी नीलामी की कोशिश की गई। हर केस अलग है। हमें संदेह है कि सभी केस साथ जोड़े जा सकते हैं।
जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने दिल्ली, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र पुलिस को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है। सुनवाई के दौरान जस्टिस कौल ने कहा कि नीलामी स्थल पर अपलोड की गई प्रत्येक महिला पीड़ित पक्ष है और ऐसी स्थिति में कई प्राथमिकी दर्ज की जा सकती हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने मांगा मॉडल बिल्डर बायर एग्रीमेंट पर ड्राफ्ट रोडमैप, तीन सप्ताह में जवाब देने का दिया निर्देशखंडपीठ ने कहा कि अलग-अलग अपराध हैं। एक सुल्ली डील है और दूसरी बुल्लीबाई है। क्या अलग-अलग अपराधों को जोड़ा जा सकता है? आपने कई महिलाओं की तस्वीरें अपलोड की हैं और प्रत्येक एक पीड़ित पक्ष है। आप कह रहे हैं कि इन्हें क्लब किया जाना चाहिए क्योंकि दोनों वेबसाइटें आपकी हैं?
ओंकारेश्वर ठाकुर पर पिछले साल दिल्ली, नोएडा और मुंबई में तीन प्राथमिकी हैं दर्जपीठ ने ठाकुर की ओर से पेश वकील से पूछा, 'क्या आप कह सकते हैं कि वेबसाइट पर जो कुछ भी अपलोड किया जाता है वह एक प्राथमिकी तक ही सीमित होना चाहिए?' ठाकुर की ओर से पेश हुए वकील ने पीठ से कहा कि उनके मुवक्किल का नाम किसी प्राथमिकी में नहीं है और उन पर आरोप है कि उन्होंने वेबसाइट बनाने में मदद की। ओंकारेश्वर ठाकुर पर पिछले साल दिल्ली, नोएडा और मुंबई में तीन प्राथमिकी दर्ज है। ठाकुर पर आरोप है कि उसने मुस्लिम महिलाओं को कथित रूप से लक्षित करने और उनकी सहमति के बिना उनकी तस्वीर एप के माध्यम से अपलोड किया।