नई दिल्ली। 'औद्योगिक शराब' को 'नशीली शराब' से अलग करने में लगी सुप्रीम कोर्ट की नौ-न्यायाधीशों की पीठ के सदस्य के रूप में न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना अपने पिता द्वारा 1989 के फैसले पर एक बार फिर विचार करने वाली हैं।इस मुद्दे पर जब दशकों पहले इसपर सुनवाई हुई थी तब सात न्यायाधीशों की पीठ ने फैसला सुनाया था जिसमें उनके पिता और तत्कालीन सीजेआई ई एस वेंकटरमैया भी शामिल थे। अब एक बार फिर इस मुद्दे को पर अपनी-अपनी शक्तियों को लेकर केंद्र और राज्य सरकार आमने-सामने है। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट की नौ जजों की बेंच सुनवाई कर रही है।
केंद्र और राज्य के बीच शक्तियों के बंटवारे को लेकर सुनवाई जारी
इंडस्ट्रियल एल्कोहल को बनाने, उसको बेचने और उसके उसकी आपूर्ति में केंद्र और राज्य के बीच शक्तियों के बंटवारे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। इस संवैधानिक पीठ को CJI चंद्रचूड़ लीड कर रहे हैं। उनके साथ जस्टिस बीवी नागरत्ना, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस हृषिकेश रॉय, जस्टिस अभय एस ओक, जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा, जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस उज्जल भुइयां इस पीठ में शामिल हैं।
क्या है यह मामला ?
- यह शराब के उत्पादन, वितरण से लेकर उसके विनियमित करने की शक्ति का राज्य-बनाम-केंद्र मामला है।
- मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की नौ न्यायाधीशों की पीठ इस पेचीदा सवाल पर विचार कर रही है कि क्या 'औद्योगिक शराब' और 'नशीली शराब' एक ही चीज हैं।
- वर्तमान पीठ को सात न्यायाधीशों की पीठ के फैसले की जांच करनी है। जिन्होंने साल 1997 में फैसला सुनाया था कि औद्योगिक शराब केंद्र के अधिकार क्षेत्र में आती है।