मेनोपॉज के बाद महिलाओं के शरीर में कई बदलाव आते हैं जिसकी मुख्य वजह एक खास हार्मोन की कमी होती है। इस कारण से महिलाओं के शरीर में काफी परेशानियां होती हैं जिसमें हार्ट डिजीज का खतरा भी शामिल है। इसलिए मेनोपॉज के बाद अधिक सावधानी बरतने की जरूरत होती है। जानें महिलाओं में क्यों मेनोपॉज के बाद हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।

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ओम धगाल - पूर्व प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य भाजपा युवा मोर्चा

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जीवन के हर पराव में महिलाओं के शरीर में काफी बदलाव आते हैं। इन बदलावों में एक बहुत बड़ा और महत्वपूर्ण परिवर्तन मेनोपॉज के दौरान आता है। मेनोपॉज एक नेचुरल क्रिया है, जिसमें एक साल यानी 12 महीनों तक महिलाओं को माहवारी (पीरियड्स) नहीं होते हैं। औसतन मेनोपॉज की उम्र 51 साल मानी जाती है, यानी 45-55 साल की उम्र के बीच ज्यादातर महिलाओं को मेनोपॉज होता है। इस दौरान शरीर में कई बदलाव होते हैं, जिसकी एकमात्र वजह है, हार्मोन्स में परिवर्तन। हार्मोन्स लेवल में बदलाव होने की वजह से मेनोपॉज के दौरान, हॉट फ्लैश, मूड स्विंग्स जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

क्यों जरूरी है एस्ट्रोजन?

मेनोपॉज के बाद महिलाओं के शरीर में एक बहुत महत्वपूर्ण हार्मोन एस्ट्रोजन की मात्रा कम होने लगती है। यह हार्मोन शरीर में कई महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिसमें रिप्रोडक्शन के अलावा, स्किन को ड्राई होने से बचाना, हड्डियों और दांतो को मजबूत बनाना, कॉग्नीटिव हेल्थ और हार्ट हेल्थ शामिल हैं। इस हार्मोन की कमी की वजह से इन सभी पर प्रभाव पड़ता है। जैसा कि आप समझ सकते हैं कि एस्ट्रोजन की मात्रा कम होने की वजह से दिल पर काफी गहरा प्रभाव पड़ता है, जिस कारण से हार्ट डिजीज का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए मेनोपॉज के बाद महिलाओं में हार्ट अटैक का खतरा पहले से अधिक हो जाता है। इसका कारण एस्ट्रोजन लेवल कम होना है।

 
 

इसलिए बढ़ता है हार्ट अटैक का खतरा...

एस्ट्रोजन हार्मोन, कोलेस्ट्रॉल लेवल कम करने में मदद करता है, लेकिन इसकी मात्रा कम होने की वजह से कोलेस्ट्रॉल लेवल को कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता है और आर्टरीज में प्लेग इकट्ठा होने लगता है। इस वजह से आर्टरीज संकरी होने लगती हैं, जो दिल और शरीर के अन्य हिस्सों में ब्लड सर्कुलेशन में रुकावट डालने लगता है। इसके अलावा, एस्ट्रोजन ब्लड वेसल्स को डाइलेट करने में मदद करता है, जिससे ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने में भी मदद मिलती है और आर्टरीज पर ब्लड सर्कुलेशन के दौरान अधिक दबाव नहीं पड़ता है। एस्ट्रोजन कम होने से यह उतनी बेहतर तरीके से नहीं हो पाता है। इसलिए दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है, जिसमें हार्ट अटैक भी शामिल है। 

इन बातों का रखें ख्याल...

इस कारण से महिलाओं को मेनोपॉज के बाद दिल से जुड़ी बीमारियों के प्रति और सजग होना चाहिए और अपने रिस्क फैक्टर्स पर ध्यान देना चाहिए। अपने डॉक्टर से इस बारे में बात करने के साथ ही अपनी लाइफस्टाइल में हेल्दी बदलाव करने चाहिए, जिससे हार्ट अटैक से बचाव में काफी मदद मिल सकती है। इसलिए रोज एक्सरसाइज करें, हेल्दी डाइट फॉलो करें, जिसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड, प्रोटीन और फाइबर शामिल हों। इसके अलावा, स्मोकिंग, शराब पीने, प्रोसेस्ड फूड्स खाने और अधिक नमक और चीनी खाने से परहेज करें। वजन कम करने और ब्लड प्रेशर व ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करना भी बेहद आवश्यक है।

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