घर की सबसे बड़ी बेटी होना अपने साथ कई जिम्मेदारियां लेकर आता है। अपने माता-पिता का कंधा बनने के साथ-साथ अपने भाई-बहनों के लिए सुरक्षा की दीवार भी बनना पड़ता है। इस कारण वे हमेशा खुद को अपने परिवार के बाद रखती हैं और हमेशा जिम्मेदारियों के बोझ तले दबी रहती हैं। ऐसे कई संकेत होते हैं Eldest Daughter Syndrome के। जानें क्या होते हैं इसके अन्य संकेत।

 घर की सबसे बड़ी बेटी होना, एक ऐसी पदवी है, जो अपने साथ कई जिम्मेदारियां लेकर आती है। इन जिम्मेदारियों के बोझ तले दबकर अक्सर घर की सबसे बड़ी बेटी उम्र से पहले सयानी हो जाती है और ऐसा क्यों न हो, उन्हें अपने साथ-साथ अपने छोटे भाई-बहनों और मां-बाप का भी ख्याल रखना पड़ता है।

अगर आप भी अपने घर की सबसे बड़ी बेटी हैं, तो आप शायद इन बातों से इत्तेफाक रखें कि घर में कोई परेशानी हो, तो आपको लगता है कि इस समस्या का हल ढूंढ़ना आपकी ही जिम्मेदारी है। आपके भाई-बहनों को हर मुसीबत से बचाकर रखना और बूढ़े होते मां-बाप का सहारा बनना, ये सब आपकी जिम्मेदारियां है या यूं भी कह सकते हैं कि अपनी लाइफ के साथ-साथ आप अपने परिवारजनों की भी जिम्मेदारियां लेकर चलती हैं।

ऐसा महसूस होने के पीछे परिवार की भी काफी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। अगर आप भी ऐसा महसूस करती हैं, तो हो सकता है कि आपको भी Eldest Daughter Syndrome हो। आइए जानते हैं क्या है यह सिंड्रोम और इसके क्या लक्षण होते हैं।

रोल मॉडल बनना 

अक्सर मां-बाप यह चाहते हैं कि उनकी बड़ी बेटी बिल्कुल परफेक्ट हो। उसमें कोई बुरी आदत न हो, उससे कोई गलतियां न हो, ताकि घर के छोटे बच्चे उससे प्रेरित होकर समझदार और सभ्य बनें। हालांकि, मां-बाप की इस चाह की वजह से अक्सर बड़ी बेटियों को काफी प्रेशर झेलना पड़ता है।

खुद को अपने माता-पिता की नजरों में काबिल साबित करने के लिए वे खुद पर और अधिक दबाव डालने लगती हैं। पढ़ाई में अव्वल आना, खेल-कूद में सबसे आगे रहना, बड़ों की बात मानना और न जाने कितनी ही चीजों के जरिए वे खुद को काबिल साबित करने की कोशिश में लगी रहती हैं। अगर आप भी खुद पर ऐसे दबाव डालती हैं, तो हो सकता है कि आपको Eldest Daughter Syndrome हो।

अपनी क्षमता से ज्यादा करना

अक्सर घर की बड़ी बेटी अपने घर की सबसे ज्यादा जिम्मेदारी उठाना चाहती हैं। वह अपने माता-पिता का बोझ हल्का करने की भी कोशिश करती हैं। इसलिए काफी कम उम्र से ही वे घर की जिम्मेदारियां उठाने लग जाती हैं।

घर के कामों से लेकर पैसों तक, घर की बड़ी बेटियां अक्सर अपनी क्षमता से ज्यादा करने की कोशिश करती हैं। इस कारण कई बार वे मानसिक और शारीरिक रूप से थक जाती हैं, लेकिन फिर भी शिकायत नहीं करती हैं। 

छोटों का ख्याल रखना

अपने छोटे भाई-बहनों का ख्याल रखना अच्छी बात होती है, लेकिन घर की बड़ी बेटी उनके लिए तीसरे पेरेंट की तरह होती है, जो हमेशा उनके लिए खड़ी रहती है, उनकी जिम्मेदारियां उठाती है और उन्हें हर परेशानी से बचाने की कोशिश करती है।

इसलिए कई बार वह खुद की जरूरतों को भूलकर, अपने भाई-बहनों की जरूरतों को पूरा करने की कोशिश में लगी रहती हैं। इस कारण वह कई बार अपनी खुशियों को छोड़कर, अपने भाई-बहनों को खुश करने की कोशिश में लगी रहती हैं।

सभी परेशानियों को दूर करने की कोशिश

घर की बड़ी बेटी हमेशा यह सोचती रहती है कि कैसे वह अपने घर की सभी परेशानियों को दूर कर दें। फिर चाहे वह पैसों की तंगी हो या घर में कोई फंक्शन हो, छोटे भाई-बहनों के लिए स्कूल या कॉलेज चुनना हो।

वह हमेशा यह सोचती है कि इन परेशानियों को दूर करना, उसकी ही जिम्मेदारी है और उसे जल्द से जल्द इनका समाधान ढूंढ़ना है। इस कारण कई बार उनकी मेंटल हेल्थ पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

खुद के बारे में सबसे अंत में सोचती हैं

घर की बड़ी बेटी हमेशा अपनी जरूरत को भूलकर अपने घरवालों की जरूरतों और उम्मीदों को पूरा करने में लगी रहती है। मां-बाप चाहते हैं कि वह करीयर में खूब अच्छा करे, पैसे कमाए, अपने भाई-बहनों का ख्याल रखे, तो वह इन उम्मीदों को पूरा करने में लग जाती है।

छोटे भाई-बहन चाहते हैं कि उनकी बड़ी बहन, उनकी सारी जरूरतों को पूरा करें, उन्हें मम्मी-पापा की डांट से बचाए, तो वह इनकी चाहतों को भी पूरा करने की कोशिश करती रहती है, लेकिन इन सभी बातों में वह अपनी जरूरतों को सबसे आखिर में रखती है।

इन वजहों से अपने बारे में सोचने का उसे समय ही नहीं मिलता है। इसलिए अगर आपको भी ऐसा महसूस होता है, तो आपको Eldest Daughter Syndrome हो सकता है।