यौन संचारित संक्रमण (एसटीआई) या यौन ट्रांस्मिटेड डिजीज़ ऐसे संक्रमण हैं जो यौन संपर्क के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे में फैलते हैं। इस श्रेणी में लगभग 25 से ज्यादा ऐसी बीमारियां हैं जो मुख्य रूप से वजाइना एनल और ओरल जैसे यौन संपर्क से फैलती हैं।

Sponsored

पटौदी इंटरप्राइजेज एवं अलगोजा रिसोर्ट - बूंदी

पटौदी इंटरप्राइजेज एवं अलगोजा रिसोर्ट कीऔर से बूंदी वासियों को दीपावली की हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं

आजकल अधिकतर लोग एसटीआई की चर्चा करते हैं। कौन सी बीमारियां इस श्रेणी में आती हैं और उनसे उन्हें बचाव के लिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

यौन संचारित संक्रमण (एसटीआई) या यौन ट्रांस्मिटेड डिजीज़ ऐसे संक्रमण हैं, जो यौन संपर्क के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे में फैलते हैं। इस श्रेणी में लगभग 25 से ज्यादा ऐसी बीमारियां हैं, जो मुख्य रूप से वजाइना, एनल और ओरल जैसे यौन संपर्क से फैलती हैं।

एसटीआई वाले अधिकतर लोगों में कोई लक्षण नहीं होते हैं और उन्हें यह तक पता नहीं होता है कि वे संक्रमण को अपने यौन साथी तक पहुंचा सकते हैं। अगर इसका इलाज न किया जाए तो सर्विक्स कैंसर, लिवर डिजीज़, पेल्विक इन्फ्लेमेट्री डिजीज़, बांझपन जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। तो बहुत ही गंभीर बीमारियां होती हैं।

अगर कोई व्यक्ति एचआईवी निगेटिव है और वो एचआईवी पॉजिटिव के संपर्क में हैं तो कुछ एसटीआई (जैसे कि हर्पीज, सिफलिस और ट्राइकोमोनिएसिस गोनोरिया एचएसवी-1, एचएसवी- 2, क्लैमाइडिया) होने पर एचआईवी संक्रमित होने का खतरा बढ़ सकता है।

एसटीआई की वजहें

ऐसे कई कारण हैं, जिनकी वजह से टीनएजर गर्ल्स और युवतियों में एसटीआई होने का खतरा अधिक होता है। इसके अलावा किशोरों और वयस्कों को भी एसटीआई से बचाव संबंधी आवश्यक जानकारी प्राप्त करने में समस्या हो सकती है। इसके लिए जरूरी है बढ़ती उम्र में बच्चों से इस बारे में बात करना। कई बार एसटीआई के कोई लक्षण नहीं होते हैं, फिर भी यह एक व्यक्ति से दूसरे में फैल सकता है। बहुत से लोग खुद एसटीआई से संक्रमित होते हैं, उन्हें इसके बारे में पता भी नहीं होता।

एसटीआई से बचाव

इसके बारे में जानकारी हासिल करने का एकमात्र तरीका परीक्षण करवाना है। अगर सुरक्षित तरीके से सहवास किया जाए तभी एसटीआई की समस्या से बचाव संभव है।