कम्युनिटी अगेंस्ट ड्रंकन ड्राइविंग (CADD) द्वारा कराए गए सर्वे में दिल्ली के अंदर वाहन चला रहे कुल 30 हजार लोगों से बात की गई जिनमें 20776 पुरुष थे। भारत में बड़ी संख्या में सड़क दुर्घटनाओं के पीछे नशे में गाड़ी चलाना सबसे बड़ा कारण बना हुआ है। 2022 में नशे में गाड़ी चलाने से देश भर में 3268 सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं।
देश की राजधानी दिल्ली से चौकाने वाला आंकड़ा सामने आया है। एक गैर सरकारी संगठन(NGO) द्वारा किए गए सर्वे से पता चला है कि 10 में से 8 लोगों ने शराब के सेवन करके ड्राइविंग करने की बात स्वीकारी है। सर्वे के मुताबिक, जिन लोगों ने नशे में गाड़ी चलाने की बात स्वीकार की, उनमें चार पहिया और दोपहिया वाहन मालिक शामिल हैं।
सर्वे में हुआ बड़ा खुलासा
कम्युनिटी अगेंस्ट ड्रंकन ड्राइविंग (CADD) द्वारा कराए गए सर्वे में दिल्ली के अंदर वाहन चला रहे कुल 30 हजार लोगों से बात की गई, जिनमें 20,776 पुरुष थे। ये सर्वे पिछले साल 1 अगस्त से 31 दिसंबर के बीच किया गया। सर्वेक्षण में कहा गया है कि सभी उत्तरदाताओं में से 81.2 प्रतिशत ने शराब के नशे में गाड़ी चलाने की बात स्वीकार की है।
शराब की भेंट चढ़ते हैं कई
भारत में बड़ी संख्या में सड़क दुर्घटनाओं के पीछे नशे में गाड़ी चलाना सबसे बड़ा कारण बना हुआ है। 2022 में नशे में गाड़ी चलाने से देश भर में 3,268 सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जो पूरे वर्ष में सभी प्रकार की दुर्घटनाओं का लगभग दसवां हिस्सा है। उसी वर्ष नशे में गाड़ी चलाने के कारण 1,503 लोगों की मौत हो गई थी, जो उस वर्ष भारत में सड़क दुर्घटनाओं में हुई कुल मौतों का लगभग 11 प्रतिशत था।
मोटर वाहन क्या कहता है?
मोटर वाहन अधिनियम में नशे में गाड़ी चलाने पर यातायात नियम का स्पष्ट उल्लेख है। यातायात पुलिस अधिकारी नशे के स्तर की जांच के लिए ड्राइवरों से ब्लड अल्कोहल कंसंट्रेशन (BAC) परीक्षण कराने का अनुरोध कर सकते हैं। आमतौर पर, ट्रैफिक पुलिस लेवल निर्धारित करने के लिए ब्रीथ एनालाइजर का उपयोग करती है। नियम कहता है कि यदि प्रति 100 मिलीलीटर ब्लड में अल्कोहल लीवर 30 मिलीग्राम से कम है तो व्यक्ति सुरक्षित है।