फेक iPhone बेचने वाले बड़े शातिर अंदाज में लोगों को चूना लगाते हैं और वह नकली आईफोन की इस तरह से पैकेजिंग करते हैं जिसकी पहचान करना हर किसी के बस की बात नहीं होती। ऐसे में यहां सतर्क रहने की जरूरत है। असली फोन के डब्बे पर सारी इन्फोर्मेंशन (सार वैल्यू IMEI) लिखी होती है जबकि नकली पर कुछ भी नहीं लिखा होता है।

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जब एक यूजर के सामने आईफोन व एंड्रॉइड में किसी एक को चुनने का ऑफ्शन रखा जाएगा तो पूरी संभावना है कि वह आईफोन सलेक्ट करे। आईफोन का यूजर्स के बीच अलग ही क्रेज होता है। लेकिन कई बार लोग इतने उत्साहित हो जाते हैं कि नकली और असली आईफोन में फर्क भी नहीं कर पाते हैं। यहां नकली आईफोन को पहचान करने के लिए कुछ टिप्स बताने वाले हैं।

डब्बे से कर सकते हैं फर्क

फेक आईफोन बेचने वाले बड़े शातिर अंदाज में लोगों को चूना लगाते हैं और वह नकली आईफोन की इस तरह से पैकेजिंग करते हैं जिसकी पहचान करना हर किसी के बस की बात नहीं होती। ऐसे में यहां सतर्क रहने की जरूरत है। असली फोन के डब्बे पर सारी इन्फोर्मेंशन (सार वैल्यू, IMEI) लिखी होती है जबकि नकली पर कुछ भी नहीं लिखा होता है। नकली में सार वैल्यू और IMEI जैसा कुछ भी नहीं होता है।

एपल आईडी से पहचान करें

नकली आईफोन में बिना किसी एपल आईडी के ही सारे काम किए जा सकते हैं। लेकिन असली में वगैर इसके कुछ भी करना मुश्किल है। यहां ध्यान देने वाली बात है कि नकली में सिरी के नाम पर वॉइस असिस्टेंट खुलकर आ जाता है। जो फेक की सबसे बड़ी निशानी है।

ऑपरेटिंग सिस्टम

असली आईफोन में iOS ऑपरेटिंग सिस्टम दिया जाता है। लेकिन जो आईफोन गलत तरीके से इंपोर्ट किए जाते हैं उनमें एंड्रॉइड या अन्य ओएस दिए जाते हैं। लेकिन इसे सेटिंग में जाकर ही चेक किया जा सकता है। इसलिए आपको पुराना आईफोन लेने से पहले इसे जरूर चेक कर लेना चाहिए। असली फोन में Apple के खास ऐप जैसे कि Safari, Health, iMovie मिलते हैं।