मरिगांव जिले अंतर्गत तथा रोहा समीपवर्ती बारहपुजिया पांचों राजा समन्वय क्षेत्र में गत31जनवरी से चार दिवसीय विस्तृत कार्यक्रम के साथ चल असम साहित्य सभा विशेष वार्षिक बारहपुजीया अधिवेशन के आज चतुर्थ तथा अंतिम दिन दोपहर 1बजे से स्वाधीनता संग्रामी पूर्व मंत्री शरत चंद्र गोस्वामी के स्मृति में अनुष्टित असम जनगोष्टीय छात्र युवा सन्मिलन का अखिल असम आसु के अध्यक्ष उत्पल शर्मा ने उद्घाटन करने के साथ ही पत्रकारों के समक्ष कहा की एक जाति जीवित रहने के लिए मातृभाषा जीवित रहनी होगी और भाषा जीवित रहने के लिए मातृभाषा माध्यम जीवित रहना जरुरीहै।मातृभाषा माध्यम को लेकर राज्य भर में आसु द्वारा चलाए जा आंदोलन को लेकर आसु अध्यक्ष ने कहा की हम बौद्धिक और पथ आंदोलन एकसाथ चलाते रहेंगें।असम साहित्य सभा के उपाध्यक्ष डॉ गिरीश संदिकै के संचालन, असम साहित्य सभा बारहपुजिया अधिवेशन के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ विरिंची कुमार शर्मा के स्वागत वक्तव्य के साथ अनुष्टित सन्मिलन में विशिष्ट अतिथि के तौर पर असम जातियतावादी युवा छात्र परिषद के अध्यक्ष पलाश सांग्माई ने सम्बोधित करते हुवे कहा की राजनैतिक स्वार्थ परिहार कर गठित असम साहित्य सभा असम और जातीय छात्र संगठनों का अविभावक स्वरूप है। असम साहित्य सभा का भाषा, साहित्य, संस्कृति के क्षेत्र में काफी अवदान है। साथ सांग्माई ने मातृभाषा माध्यम को लेकर सरकार को आडे हाथों लिया।
सम्मिलन में श्रीमंत शंकरदेव संघ के पूर्व सचिव बाबुल बोरा ने असम साहित्य सभा की काव्यग्रंथ का विमोचन करने के साथ ही सम्बोधित किया। साथ ही सन्मिलन में अखिल असम कोच राजवंशी छात्र संघ के रातुल राजवंशी,असम जातिय युवा छात्र परिषद के सचिव उदयन गोगोई, कार्वी छात्र संघ के अध्यक्ष सेमशन टेरन,डिमासा छात्र संघ के अध्यक्ष नवीन जोहरि,मानव अधिकार संग्राम समिति मास के केंद्रीय प्रधान सचिव लखीप्रसाद डेका, असम गोरिया मोरिया देशी जातीय परिषद के अध्यक्ष मुहम्मद नुरुल हक,सचिव आरिफुद्दिन आहमेद सहित राज्य के विभिन्न जातीय छात्र संगठनों के नेतृवृंद उपस्थित थे।
तत्पस्चात सांय 5बजे से विशिष्ट साहित्यिक डॉ लक्ष्मीनंदन बोरा के स्मृति में अनुष्टित द्वितीय खुली सभा का उद्घाटन असम साहित्य सभा के पूर्व अध्यक्ष डॉ कुलधर सईकिया ने करने के साथ ही असम साहित्य सभा के अध्यक्ष डॉ सूर्यकांत हाजरीका के अध्यक्षता, अधिवेशन स्वागत समिति के अध्यक्ष हेमंत देवरी के स्वागत वक्तव्य के साथ अनुष्टित खुली सभा में विशिष्ट अतिथि के तौर पर असम साहित्य सभा के उपाध्यक्ष डॉ गिरीश संदिकै, पूर्व उपाध्यक्षा मृनालिनी देवी, परम सन्मानिय अतिथि के तौर पर मनिपुर विश्वविद्यालय ईंराजी और संस्कृत अध्ययन विभाग के मुरब्बी अध्यापक डॉ आईरम गम्भीर सिंह सहित असम साहित्य सभा केंद्रीय समिति, विभिन्न जिला शाखा साहित्य सभा के प्रतिनिधि और गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
तत्पस्चात ग्यानपीठ पुरस्कार प्राप्त जातीय कवि नीलमनि फुकन स्मृति में कवि सन्मिलन का आयोजन हुवा।