मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने शादी से इनकार करने को लेकर अहम टिप्पणी की है। हाईकोर्ट ने कहा कि शादी से इनकार करना और शारीरिक संबंध बनाने से इनकार मानसिक क्रूरता है। ये दोनों बातें वैध तलाक का आधार हैं।

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हाईकोर्ट ने तलाक देने का जारी किया आदेश

जज शील नागू और जज विनय सराफ की खंडपीठ ने तलाक को लेकर बीते 3 जनवरी को एक फैसला सुनाया। पीठ ने एक व्यक्ति को इस आधार पर तलाक दे दिया कि उसकी पत्नी ने शादी को जारी रखने और उसके साथ संबंध बनाने से मना कर दिया था।

'मानसिक क्रूरता के बराबर है शादी से इनकार करना'

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि शादी न करना और शारीरिक संबंध से इनकार करना मानसिक क्रूरता के बराबर है। हाईकोर्ट ने कहा कि कई मौकों पर महिला ने शादी को जारी रखने और अपने पति के साथ शारीरिक संबंध बनाने से इनकार कर दिया था।

पीठ ने क्या कहा?

पीठ ने कहा, ‘हम समझते हैं कि शारीरिक अक्षमता या वैध कारण के बिना काफी समय तक यौन संबंध रखने से एकतरफा इनकार करना मानसिक क्रूरता के बराबर हो सकता है।'

इसी के साथ ही पीठ ने फैमिली कोर्ट के आदेश को भी रद्द कर दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि निचली अदालत ने यह गलत ठहराया था कि पत्नी की ओर से शादी को पूरा करने में विफलता तलाक का आधार नहीं हो सकती है।

साल 2006 में हुई थी शादी

शख्स द्वारा दायर अपील के अनुसार, जुलाई 2006 में उसकी शादी हुई थी। हालांकि, शादी के बाद से ही पत्नी ने उसके साथ रहने और शादी को जारी रखने से इनकार कर दिया था। महिला ने अपने पति को बताया था कि वह किसी और से प्यार करती है।

अमेरिका चला गया था पति

याचिका में कहा गया कि शख्स साल 2006 में ही काम के लिए अमेरिका चला गया। इसके बाद महिला अपने परिवार के साथ रहने चली गई और फिर कभी वापस नहीं लौटी। हालांकि, साल 2011 में पति  ने तलाक के लिए भोपाल की फैमिली कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसे खारिज कर दिया गया था।