नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू जनजागृति समिति द्वारा 18 जनवरी को आयोजित होने वाले एक कार्यक्रम को लेकर रायपुर और यवतमाल प्रशासन को सख्त निर्देश जारी किए हैं।

बता दें कि हिंदू जनजागृति समिति और बीजेपी विधायक टी राजा सिंह द्वारा आयोजित रैलियों में संभावित नफरत भरे भाषणों पर चिंता जताई गई।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

इस मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'हमें अधिकारियों से इस तथ्य के प्रति सावधान रहने की जरूरत है कि हिंसा या नफरत भरे भाषण की अनुमति नहीं दी जा सकती है।'

सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों को दिया निर्देश

इसी के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ के रायपुर और महाराष्ट्र के यवतमाल के जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक को दोनों जगहों पर जनवरी में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों के संबंध में निर्देश जारी किए हैं।

रैलियों पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

जज संजीव खन्ना और जज दीपांकर दत्ता की पीठ ने निर्धारित रैलियों पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा कि जिन पार्टियों के खिलाफ नफरत फैलाने वाले भाषणों के आरोप लगाए गए हैं, वे अदालत के समक्ष नहीं हैं।

साथ ही पीठ ने दोनों जिलों के जिला मजिस्ट्रेटों और एसपी को रैलियों के स्थल पर सीसीटीवी कैमरे सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। अगर रैली स्थल पर कुछ भी होता है तो नफरत फैलाने वाले लोगों की पहचान की जा सके।

सुप्रीम कोर्ट में दायर किया गया था आवेदन

शाहीन अब्दुल्ला ने एक आवेदन दायर किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि नफरत फैलाने वाले भाषणों के कई मामले सामने आए हैं। इसमें कहा गया है कि यवतमाल जिले में 18 जनवरी को हिंदू जनजागृति समिति की रैली होने वाली है और इसमें नफरत भरे भाषणों की आशंका है।

इसके अलावा आवेदन में कहा गया है कि रायपुर जिले में बीजेपी विधायक टी राजा सिंह की रैलियां 19 से 25 जनवरी तक निर्धारित हैं। याचिकाकर्ता ने रैलियां आयोजित करने की अनुमति रद्द करने की मांग की थी।