चेन्नई में 1 करोड़ रुपये के बीमा भुगतान का दावा करने के लिए अपनी मौत की झूठी कहानी रचने के आरोप में चेंगलपट्टू पुलिस ने सोमवार को एक 38 वर्षीय शख्स को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने कहा कि आरोपित शख्स ने पहले अपनी मौत की झूठी कहानी रची और अपने जैसे से मेल खाने वाले एक शख्स की हत्या भी की। मामले के सिलसिले में आरोपी और उसके दो दोस्तों को गिरफ्तार कर लिया गया है।मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, अयनावरम के निवासी सुरेश हरिकृष्णन ने 1 करोड़ की जीवन बीमा पॉलिसी का दावा करने के लिए अपनी ही मौत को फर्जी बनाने की योजना बनाई। इसके लिए उसने अपने दो दोस्तों के साथ मिलकर अपनी ही जैसी बॉडी और उम्र से मिलते-जुलते एक शख्स की तलाश की जो शारीरिक रूप से सुरेश जैसा ही समान हो। तीनों की मुलाकात दिलीबाबू से हुई, जो बिल्कुल सुरेश की बॉडी से मेल खा रहा था। हैरानी की बात यह है कि सुरेश दस साल से दिलीबाबू को जानता था और वो भी अयनावरम का ही निवासी था।

ऐसी रची हत्या की साजिश

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, सुरेश ने पहले दिलीबाबू और उसकी मां से मिलना-जुलना शुरू किया और दोस्ती गहरी की। इससे एक भरोसा बन गया और 13 सितंबर, 2023 को सुरेश और उसके दो दोस्त मिलकर दिलीबाबू को शराब पिलाने के बहाने पुडुचेरी ले गए। तीनों दिलीबाबू को चेंगलपट्टू के पास एक खाली भूखंड पर ले गए जहां उन्होंने पहले से ही एक झोपड़ी बना रखी थी।

बताया जाता है कि 15 सितंबर को सुरेश ने शराब के नशे में पहले दिलीबाबू का गला घोंटा और फिर झोपड़ी में आग लगा दी। इसके बाद वह मौके से फरार हो गया। सुरेश के परिजनों ने भी मान लिया था कि वह आग में मर गया है और इसलिए उसका अंतिम संस्कार भी कर दिया।

फिर खुली सुरेश की पोल

इस बीच दिलीबाबू की मां लीलावती ने अपने बेटे की गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई। कोई कार्रवाई नहीं होने पर उसने मद्रास उच्च न्यायालय का रुख किया। 16 सितंबर को पुलिस को एक जली हुई झोपड़ी के अंदर एक जला हुआ शव मिलने की सूचना मिली। शव की जांच करने पर पता चला की वह सुरेश का शव था। उन्हें बताया गया कि उनका शव उनकी बहन ने ले लिया है और अंतिम संस्कार कर दिया है।

हालांकि, लीलावती ने पुलिस को सूचित किया था कि जिस दिन उसका बेटा सुरेश के साथ लापता हुआ था, उस दिन वह उसके साथ बाहर गया था और उसने आखिरी बार अपने बेटे से सितंबर में बात की थी। इस सुराग पर कार्रवाई करते हुए पुलिस सुरेश के गांव गई, जहां उसके रिश्तेदारों ने कहा कि वह मर चुका है।

एक फोन के सिग्नल ने खत्म किया पूरा प्लान

पुलिस को शक हुआ और उसके फोन का पता लगाया। पता चला की जली हुई झोपड़ी के पास सुरेश का फोन एक्टिव था। इससे पुलिस का शक गहराता चला गया और जिसे वह सितंबर में मरा हुआ समझ रहे थे वह दरअसल जिंदा था।

इसके बाद पुलिस ने सुरेश के कुछ दोस्तों का पता लगाया जिससे उन्हें पता चला कि वह जिंदा है और उसी ने दिलीबाबू की हत्या की थी। पूछताछ करने पर सुरेश और कीर्ति राजन ने दिलीबाबू की हत्या की बात कबूल कर ली। पुलिस ने अपराधियों को गिरफ्तार कर सोमवार को न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।