नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पुष्टि की है कि कनाडाई राजनीति ने खालिस्तानी ताकतों को जगह दी है। साथ ही, उन्होंने कहा कि कनाडा ने लोगों को ऐसी गतिविधियों में शामिल होने की भी अनुमति दी है, जो भारत और कनाडा के बीच द्विपक्षीय संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं। उन्होंने चिंता व्यक्त की कि ये कार्रवाइयां किसी भी देश के हित में नहीं हैं।

Sponsored

महावीर कुल्फी सेन्टर - बूंदी

महावीर कुल्फी सेन्टर की और से बूंदी वासियों को दीपावली की हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं

'कनाडा में खालिस्तानियों को मिला रही जगह'

समाचार एजेंसी एएनआई के साथ एक इंटरव्यू में, विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, "मुख्य मुद्दा यह है कि कनाडाई राजनीति में, इन खालिस्तानी ताकतों को बहुत जगह दी गई है और उन गतिविधियों में शामिल होने की अनुमति दी गई है, जो मुझे लगता है कि रिश्ते के लिए हानिकारक हैं। स्पष्ट रूप से यह भारत और कनाडा के हित में भी नहीं है, लेकिन दुर्भाग्य से, उनकी राजनीति की हालत कुछ ऐसी ही है।"

'पीएम पर अटकलें लगाना मेरा काम नहीं'

विदेश मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि नई दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन का कनाडा में खालिस्तानी मुद्दे से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कहा, "जी20 में सभी को शामिल करने का कनाडा में खालिस्तान मुद्दे से कोई लेना-देना नहीं है। खालिस्तान मुद्दा नया नहीं है। खालिस्तान मुद्दा वर्षों से मौजूद है। मैं अपनी सरकार, अपने प्रधानमंत्री और अपने पुस्तक बारे में बता सकता हूं।" अन्य प्रधानमंत्रियों पर अटकलें लगाना मेरा काम नहीं है।"

कनाडा में एक बहुत ही मुखर खालिस्तान समर्थक लॉबी द्वारा देश में तैनात भारतीय राजनयिकों को धमकी देने के कारण भारत और कनाडा के बीच राजनयिक संबंधों में काफी तनाव आ गया है, जिससे द्विपक्षीय साझेदारी के भविष्य के बारे में चिंताएं बढ़ गई हैं।

भारत ने कनाडा के आरोपों को बताया बेतुका

सितंबर में, कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने हाउस ऑफ कॉमन्स में भारत पर आरोप लगाते हुए कहा कि 18 जून को सिख कार्यकर्ता हरदीप सिंह निज्जर की उनके गुरुद्वारे के बाहर गोली मारकर हत्या करने की साजिश में भारत शामिल था। इसके बाद, भारत ने एक बयान जारी करके तुरंत जवाबी कार्रवाई की, जिसमें इस मुद्दे में किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार किया गया। भारत ने दावों का जोरदार खंडन किया और उन्हें बेतुका और राजनीति से प्रेरित बताया।