नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि संस्कृत भाषा हमारी संस्कृति की पहचान और देश की प्रगति का आधार रही है। वह मंगलवार को श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षा समारोह को बतौर मुख्यातिथि संबोधित कर रही थीं। समारोह में केंद्रीय शिक्षा, कौशल, विकास एवं उद्यमशीलता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान विशिष्ट अतिथि के तौर पर शामिल हुए।

समारोह में सत्र 2018 से 2023 तक के विश्वविद्यालय से वेद, दर्शन, ज्योतिष, वास्तुशास्त्र, साहित्य, धर्मशास्त्र, योग सहित विभिन्न विषयों में स्नातकोपाधिपत्र और अंशकालीन डिप्लोमा के 4423 छात्रों को उपाधियां प्रदान की गईं। विश्वविद्यालय की कुलाध्यक्ष राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि संस्कृत का व्याकरण इस भाषा को अद्वितीय वैज्ञानिक आधार देता है। यह मानवीय प्रतिभा की अनूठी उपलब्धि है।

उन्होंने कहा कि संस्कृत आधारित शिक्षा प्रणाली में गुरु या आचार्य को अत्यधिक महत्व दिया गया है। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मुरली मनोहर पाठक ने कहा कि विश्वविद्यालय सभी स्तरों पर विकास करते हुए प्रयत्नशील है। महिला शिक्षा व सशक्तीकरण की दिशा में महिला अध्ययन केंद्र का पुनरारंभ किया गया है। राष्ट्रपति द्वारा सत्र 2018 से सत्र 2023 तक के विश्वविद्यालय के छह सर्वोत्कृष्ट छात्रों को स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति के साथ स्वर्ण पदक प्राप्त 135 छात्रों का छायाचित्र लिया गया।

दीक्षित स्नातकों को संस्कृत के ज्ञान को समाज में प्रसारित करना है 

धर्मेंद्र प्रधान केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि भारत की मूल ज्ञान परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए भारत सरकार ने तीन संस्कृत विश्वविद्यालयों की पुनर्रचना की। संस्कृत विश्वविद्यालय से दीक्षित स्नातकों को केवल शिक्षक नही बनना है, अपितु संस्कृत के अमूल्य ज्ञान को समाज में प्रसारित भी करना है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भारतीय भाषाओं को महत्व दिया गया है। इसका उद्देश्य भारतीय ज्ञान परंपरा को पुनर्जीवित करना है। शिक्षामंत्री की ओर से शोध पत्रिकाओं का लोकार्पण किया।