बाड़मेर से बीजेपी की नेता प्रियंका चौधरी टिकट पाने के लिए ऐड़ी-चोटी का जोर लगा रही हैं, लेकिन आखिर ऐसी क्या वजहें है जिससे उन्हे टिकट मिलने में मुश्किलों का समाना करना पड़ रहा है? प्रियंका को टिकट न मिलने की वजह सत्यपाल मलिक से पारिवारिक संबंध भी माना जा है.
बाड़मेर जिले की शिव और पचपदरा विधानसभा सीटों पर उम्मीदवारों को लेकर फंसा पेंच सुलझने का नाम ही नहीं ले रहा है. बात करें बाड़मेर विधानसभा सीट की तो इस सीट से प्रियंका चौधरी का दावा सबसे मजबूत माना जा रहा है, लेकिन पार्टी उनकी जगह बाड़मेर जैसलमेर सांसद और केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी को इस सीट से मैदान में उतारना चाह रही है.
केंद्रीय मंत्री ने यहां से चुनाव लड़ने से साफ इनकार करते हुए प्रियंका चौधरी का ही नाम आगे किया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार पार्टी हाईकमान ने प्रियंका चौधरी को टिकट देने से साफ इनकार कर दिया और इसकी वजह पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक (Satya Pal Malik) से प्रियंका के पारिवारिक संबंध बताए जा रहे हैं. बहरहाल प्रियंका चौधरी ने अपने कार्यकर्ताओं और समर्थकों की बड़ी सभाएं बुलाकर पार्टी पर दबाव बनाने की कोशिश भी की लेकिन पार्टी पर इसका कोई असर नहीं हुआ.
दिग्गज जाट नेता गंगाराम की पौत्री हैं प्रियंका
प्रियंका चौधरी बाड़मेर के दिग्गज जाट नेता पूर्व विधायक एवं मंत्री गंगाराम चौधरी की पौत्री हैं. प्रियंका ने बाड़मेर विधानसभा सीट से 2013 में भाजपा की टिकट से चुनाव लड़ा था. 2018 में भी बाड़मेर विधानसभा सीट से सबसे मजबूत नाम प्रियंका चौधरी का ही निकाल कर सामने आया था, लेकिन इन वक्त पर बाड़मेर जैसलमेर के पूर्व सांसद कर्नल सोनाराम चौधरी बाड़मेर विधानसभा सीट से टिकट हासिल करने में कामयाब रहे थे.
मलिक से नजदीकियों के चलते आ रही मुश्किलें
सूत्रों के अनुसार प्रियंका चौधरी का टिकट काटे जाने का सबसे बड़ा कारण निकलकर सामने यह आया है. बता दें कि पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक (Satya Pal Malik) एवं प्रियंका चौधरी का पारिवारिक संबंध रहा है. सत्यपाल मलिक द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरुद्ध लगातार मोर्चा खोले हुए हैं और पिछले दिनों राहुल गांधी को भी एक इंटरव्यू दिया है जो पिछले कुछ दिनों से चर्चा का विषय बना हुआ है.