मंत्रालय ने बयान में कहा, स्टॉक सीमा में संशोधन और समय अवधि का विस्तार जमाखोरी को रोकने और बाजार में पर्याप्त मात्रा में तुअर और उड़द की उपलब्धता सुनिश्चित करने और इनको सस्ती कीमत पर उपलब्ध कराने के लिए है। ताजा आदेश के अनुसार, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 31 दिसंबर तक तुअर और उड़द के लिए स्टॉक सीमा निर्

त्योहारी सीजन शुरू हो चुका है। इस दौरान खाने-पीने के सामान महंगा होने का पुराना रिकॉर्ड रहा है। इसको देखते हुए सरकार ने टमाटर, प्याज के बाद अब दालों को लेकर बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने तुअर और उड़द पर मौजूदा स्टॉक रखने की सीमा की अवधि इस साल दो महीने बढ़ाकर 31 दिसंबर तक कर दी है। साथ ही सरकार ने कुछ इकाइयों के लिए स्टॉक रखने की सीमा को संशोधित किया है। खाद्य एवं उपभोक्ता मामले मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, डिपो में थोक विक्रेताओं और बड़ी श्रृंखला के खुदरा विक्रेताओं के लिए स्टॉक सीमा 200 टन से घटाकर 50 टन कर दी गई है। जानकारों का कहना है कि इस कदम से जमाखोरी रोकने में सफलता मिलेगी, जिससे दालों की कीमत कंट्रोल करने में मदद मिलेगी। बहुत उम्मीद है कि कीमतें में कमी आए।  

जमाखोरी रोकने के लिए उठाया गया कदम  

मंत्रालय ने बयान में कहा, स्टॉक सीमा में संशोधन और समय अवधि का विस्तार जमाखोरी को रोकने और बाजार में पर्याप्त मात्रा में तुअर और उड़द की उपलब्धता सुनिश्चित करने और इनको सस्ती कीमत पर उपलब्ध कराने के लिए है। ताजा आदेश के अनुसार, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 31 दिसंबर तक तुअर और उड़द के लिए स्टॉक सीमा निर्धारित की गई है। थोक विक्रेताओं के लिए प्रत्येक दाल पर अलग से लागू स्टॉक सीमा 50 टन होगी; खुदरा विक्रेताओं के लिए पांच टन; प्रत्येक खुदरा दुकान पर पांच टन, और बड़ी श्रृंखला के खुदरा विक्रेताओं के लिए डिपो पर 50 टन; मिल मालिकों के लिए उत्पादन का अंतिम एक महीने या वार्षिक स्थापित क्षमता का 10 प्रतिशत, जो भी अधिक हो, होगी। हालांकि, आयातकों को सीमा शुल्क निकासी की तारीख से 30 दिन से अधिक आयातित स्टॉक रखने की अनुमति नहीं है। मिल मालिकों के लिए स्टॉक सीमा भी पिछले तीन महीने के उत्पादन, या वार्षिक क्षमता के 25 प्रतिशत, जो भी अधिक हो, से घटाकर पिछले एक महीने के उत्पादन, या वार्षिक क्षमता का 10 प्रतिशत, जो भी अधिक हो, कर दी गई है। 

मंत्रालय ने बयान में कहा, स्टॉक सीमा में संशोधन और समय अवधि का विस्तार जमाखोरी को रोकने और बाजार में पर्याप्त मात्रा में तुअर और उड़द की उपलब्धता सुनिश्चित करने और इनको सस्ती कीमत पर उपलब्ध कराने के लिए है। ताजा आदेश के अनुसार, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 31 दिसंबर तक तुअर और उड़द के लिए स्टॉक सीमा निर्धारित की गई है। थोक विक्रेताओं के लिए प्रत्येक दाल पर अलग से लागू स्टॉक सीमा 50 टन होगी; खुदरा विक्रेताओं के लिए पांच टन; प्रत्येक खुदरा दुकान पर पांच टन, और बड़ी श्रृंखला के खुदरा विक्रेताओं के लिए डिपो पर 50 टन; मिल मालिकों के लिए उत्पादन का अंतिम एक महीने या वार्षिक स्थापित क्षमता का 10 प्रतिशत, जो भी अधिक हो, होगी। हालांकि, आयातकों को सीमा शुल्क निकासी की तारीख से 30 दिन से अधिक आयातित स्टॉक रखने की अनुमति नहीं है। मिल मालिकों के लिए स्टॉक सीमा भी पिछले तीन महीने के उत्पादन, या वार्षिक क्षमता के 25 प्रतिशत, जो भी अधिक हो, से घटाकर पिछले एक महीने के उत्पादन, या वार्षिक क्षमता का 10 प्रतिशत, जो भी अधिक हो, कर दी गई है। 

पोर्टल पर स्टॉक की घोषणा करनी होगी

आदेश के अनुसार, संबंधित पात्र संस्थाओं को उपभोक्ता मामलों के विभाग के पोर्टल पर अपने स्टॉक की घोषणा करनी होगी और यदि उनके पास स्टॉक इस निर्धारित सीमा से अधिक है, तो उन्हें अधिसूचना जारी होने के 30 दिनो के भीतर इसे निर्धारित स्टॉक सीमा में लाना होगा। इस साल दो जनवरी को,सरकार ने जमाखोरी और सट्टेबाजी को रोकने के लिए तुअर और उड़द पर स्टॉक सीमा लगाई थी। बयान में कहा गया है कि उपभोक्ता मामलों का विभाग स्टॉक खुलासा पोर्टल के माध्यम से तुअर और उड़द की स्टॉक स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहा है, जिसकी साप्ताहिक आधार पर समीक्षा की जा रही है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, चालू खरीफ सत्र के दौरान दलहन की बुवाई का रकबा 22 सितंबर तक कम यानी 122.57 लाख हेक्टेयर रह गया है, जो एक साल पहले की समान अवधि में 128.49 लाख हेक्टेयर था। इस कमी को पूरा करने के लिए देश दालों का आयात करता है।