कनाडा की सरकार एक नया कानून लाने की योजना बना रहा है। इसके तहत गूगल और मेटा जैसे सोशल मीडिया दिग्गजों को अपने प्लेटफार्मों पर साझा की गई कॉन्टेक्ट के लिए समाचार संगठनों को भुगतान करने की जरूरत होगी। बीते शुक्रवार को इसकी घोषणा की गई थी। मेटा ने इस कानून के जवाब में कनाडा में न्यूज बैन लागू करना जारी रखते हैं।
कनाडा सरकार ने शुक्रवार को बताया कि उसने गूगल और मेटा जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म को न्यूज कंटेंट के लिए पब्लिशर्स को पेमेंट करने के लिए की बात कही है। इसके लिए यह एक नया कानून लाने की बात कही। आज हम आपको बताएंगे कि यह नया कानून व्यवहार में कैसे काम करेगा
बता दें कि सरकार इस कानून के साथ केवल Google और मेटा को टारगेट कर रहा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि ये दोनों टेक कंपनियां कनाडा में सभी ऑनलाइन विज्ञापन राजस्व का लगभग 80 प्रतिशत नियंत्रित करती हैं।
न्यूज आउटलेट को देने होंगे पैसे
कनाडा ने शुक्रवार को अल्फाबेट के Google और मेटा प्लेटफॉर्म को न्यूज आउटलेट्स को पेमेंट करने के लिए नए कानून के ड्रॉफ्ट नियमों को पेश किया।
इसमें ओटावा ने कंपनियों की चिंताओं को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें एक अनकैप्ड देनदारी का सामना करना पड़ सकता है।
दिसंबर में लागू होंगे नियम
कनाडा का ऑनलाइन समाचार अधिनियम, इन टॉप कंपनियों को समाचार के लिए भुगतान करने के ग्लोबल ट्रेंड का हिस्सा है, जो जून में कानून बन गया और दिसंबर में लागू होने की उम्मीद है।
पेश किए गए ड्रॉफ्ट के नियमों के हिसाब से फेसबुक और गूगल को कनाडा में न्यूज पब्लिशर्स के साथ स्वेच्छा से डील करने और एक निर्धारित हिसाब के आधार पर अपने वैश्विक राजस्व का एक हिस्सा देना होगा।
क्या है कंपनियों का फैसला
मेटा और गूगल का कहना है कि यह कानून दोनों कंपनियों के बिजनेस के लिए अव्यवहारिक है। जैसा कि हम जानते हैं कि मेटा ने कनाडा में अपने प्लेटफार्मों पर न्यूज शेयर करना पहले ही बंद कर दिया है।
वहीं गूगल कानून लागू होने से पहले ही कनाडा में सर्च रिजल्ट से न्यूज को ब्लॉक करने की भी योजना बना रहा है।
इतना करना होगा भुगतान
बता दें कि कनाडाई सरकार ने ड्रॉफ्ट में बताया कि Google को हर साल 172 मिलियन CAD (लगभग 1,050 करोड़ रुपये) और Facebook को हर साल लगभग 60 मिलियन CAD (लगभग 360 करोड़ रुपये) देने होंगे।
यदि कंपनियां स्वैच्छिक सौदों के माध्यम से भुगतान सीमा को पूरा नहीं करती हैं, तो उन्हें कनाडाई रेडियो-टेलीविजन और दूरसंचार आयोग (सीआरटीसी) की देखरेख में अनिवार्य सौदेबाजी से गुजरना पड़ सकता है।