Cancer: एक चाय का कप आपको बना सकता है कैंसर का शिकार, ऐसे लोगों को ज्यादा खतरा
दुनियाभर में हर साल कैंसर के केस लगातार बढ़ रहे हैं. इस बीमारी की चपेट में हर उम्र के लोग आ रहे हैं. गैर संक्रामक बीमारी होने के बावजूद भी इससे हर साल लाखों मौतें होती हैं. कैंसर कई कारणों से होता है.
लेकिन क्या आप जानते हैं कि चाय का कप भी आपको कैंसर का शिकार बना सकता है. जी हां, अगर आप प्लास्टिक के कप में चाय पीते हैं और हर दिन ऐसा कर रहे हैं, तो कैंसर की चपेट में आ सकते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि इन प्लास्टिक के कप में हाइड्रोकार्बन होता है. जब चाय इन कप में जाती है तो यह खतरनाक हाइड्रोकार्बन चाय में मिल जाता है. जब हम चाय पीते हैं तो ये शरीर में पहुंचता है, जो बाद में कैंसर का कारण बन सकता है.
बीते कुछ सालों से प्लास्टिक के कप में चाय पीने का चलन काफी बढ़ गया है. खासतौर पर दुकानों या रेस्टोरेंट में प्लास्टिक कप में ही चाय परोसी जाती है. दिल्ली में राजीव गांधी कैंसर हॉस्पिटल में मेडिकल ऑन्कोलॉजी डिपार्टमेंट में एचओडी डॉ. विनीत तलवार बताते हैं कि प्लास्टिक के बाउल के गर्म होने पर इनमें से हाइड्रोकार्बन निकलता है. जिससे कैंसर का रिस्क हो सकता है. इसी तरह का खतरा प्लास्टिक बोतलों में भी होता है. इनमें अगर अधिक समय तक पानी रहता है तो ये प्लास्टिक में मौजूद हाइड्रोकार्बन के संपर्क में आता है. जब हम पानी पीते हैं तो इसके जरिए शरीर में जाता है.
ब्रेस्ट कैंसर का खतरा
डॉ तलवार बताते हैं कि प्लास्टिक बोतल में डायोक्सिन केमिकल भी होता है जिससे ब्रेस्ट कैंसर होने का रिस्क रहता है. यहां तक कि जिन प्लास्टिक जग्स में लोग जूस पीते हैं उनकी प्लास्टिक हाई डेंसिटी पॉलीथिलेन वाली होती है. जिससे में कई प्रकार के खतरनाक केमिकल होते हैं. ये केमिकल शरीर में कैंसर को फैला सकता है.
देर रात में खाना भी कैंसर का कारण
सिर्फ चाय ही नहीं देर रात में खाना भी कैंसर का कारण बन सकता है. बर्सिलोना इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ की रिसर्च के मुताबिक, खाने और सोने के बीट दो घंटे का गैप रखना चाहिए. लेकिन आजकल लोगों में देर रात में खाना खाते हैं और खाते ही सो जाते हैं. इससे भोजन और नींद के बीच गैप नहीं रह पाता. जिससे शरीर की बायोलॉजिकल क्लॉक बिगड़ जाती है. इसके बिगड़ने से बॉडी में सेल्स के असामान्य तरीके से बढ़ने का रिस्क रहता है. सेल्स के इस तरह बढ़ने से कैंसर हो जाता है.
कैंसर काबू में कैसे आएगा
कैंसर सर्जन डॉ. अंशुमान कुमार कहते हैं कि कैंसर से निपटने के लिए इसके बारे में जागरूकता लाना बहुत जरूरी है. आज भी अधिकतर लोगों को यह जानकारी ही नहीं है कि कैंसर की स्क्रीनिंग कब करानी चाहिए. कई मामलों में तो सालों तक शरीर में बीमारी पनपती रहती है और लोग इसपर ध्यान नहीं देते. जब इलाज शुरू कराते हैं तब तक बहुत देर हो जाती है. इस कारण ही कैंसर के अधिकतर मामले एडवांस स्टेज में रिपोर्ट किए जाते हैं. ऐसे में जरूरी है कि लोग कैंसर के बारे में जागरूक हों. इसके लिए व्यापक स्तर पर अभियान चलाना होगा.
कैंसर के इलाज के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में भी स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाना होगा. प्राथमिक स्तर पर जो डॉक्टर हैं उनको मरीजों को समय रहते बायोप्सी जांच के बारे में बताना चाहिए. जागरूकता बढ़ाने और समय पर इलाज मिलने से कैंसर के मामलों और इससे हो रही मौतों को कंट्रोल किया जा सकता है.