नई दिल्ली,  मुस्लिम आबादी को वोट बैंक मानकर राजनीति करने वाले दलों को भाजपा की ताजा पहल ने आगाह कर दिया है कि अल्पसंख्यक वोटों पर किसी दल विशेष का एकाधिकार स्थायी नहीं हो सकता है। केंद्र सरकार की ओर से पहले से ही पिछड़े मुस्लिमों के उन्नयन के लिए कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं तो दूसरी तरफ पसमांदा समुदाय से तारिक मंसूर को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाकर भाजपा ने आगे की राजनीति का संकेत दे दिया है।

इसी रणनीति को आगे बढ़ाते हुए लोकसभा की 80 सीटों वाले यूपी में भाजपा पसमांदा स्नेह संवाद यात्रा भी निकाल रही है। अन्य राज्यों में भी ऐसे प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे दूसरे दलों की बेचैनी बढ़ना स्वाभाविक है। भाजपा की योजना अगर कारगर हुई तो वोट बैंक का पासा पलट भी सकता है।

मुस्लिमों की कुल आबादी 19.75 करोड़

लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में देश में जून 2023 तक मुस्लिमों की कुल आबादी 19.75 करोड़ बताई गई है, जो देश की कुल वर्तमान जनसंख्या का लगभग 14.2 प्रतिशत है। रिपोर्ट यह भी है कि इतनी बड़ी आबादी का 85 प्रतिशत भाग पिछड़ा है, जिसे पसमांदा मुस्लिम कहा जाता है।

माना जाता है कि अल्पसंख्यकों के नाम पर लागू योजनाओं का लाभ अभी तक सिर्फ अगड़े मुसलमानों के हिस्से में पहुंच रहा था और पसमांदा को वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। चुनावी राजनीति में किसी समुदाय की इतनी बड़ी संख्या मायने रखती है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस मर्म को समझा और पसमांदा राजनीति को चर्चा के केंद्र में ला दिया। उन्होंने पिछले वर्ष जुलाई में हैदराबाद में और इस वर्ष जनवरी में दिल्ली में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में मुस्लिम समुदाय के पढ़े-लिखे एवं पसमांदा लोगों तक केंद्र सरकार की नीतियों एवं कार्यों को पहुंचाने का आग्रह किया। उसके बाद भाजपा के स्तर से विभिन्न प्रदेशों में अमल भी शुरू हो गया।

हालांकि पसमांदा मुस्लिम राजनीति के पैरोकार एवं पूर्व सांसद अली अनवर को भाजपा के प्रयासों में ईमानदारी नहीं दिखती है। वह कहते हैं कि अभी तक किसी भी सरकार ने पिछड़े मुस्लिमों की चिंता नहीं की। इन्हें सिर्फ वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया गया है।

पसमांदा की नई पीढ़ी से भाजपा को उम्मीदें

भाजपा नेतृत्व को केंद्र सरकार की योजनाओं का भी फायदा मिलने की उम्मीद है। अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने पिछड़े मुस्लिमों की नई पीढ़ी को प्रभावित करने के लिए कई तरह की योजनाएं चला रखी हैं। नया सवेरा योजना के तहत तकनीकी एवं व्यावसायिक संस्थानों में नामांकन एवं समूह क, ख एवं ग की सेवाओं की तैयारियों के लिए निशुल्क कोचिंग की व्यवस्था है। इसी तरह नई उड़ान योजना के तहत संघ लोकसेवा आयोग एवं विभिन्न राज्यों के लोकसेवा आयोगों की प्रारंभिक परीक्षाओं में उत्तीर्ण छात्रों को मुख्य परीक्षा की तैयारियों के लिए निशुल्क कोचिंग की व्यवस्था है।