नई दिल्ली। मणिपुर हिंसा पर चर्चा को लेकर संसद के दोनों सदनों में सोमवार को फिर जमकर हंगामा हुआ है। हालांकि दोनों ही सदनों में सरकार चर्चा के लिए तैयार थी, राज्यसभा में तो सभापति ने चर्चा को मंजूरी देते हुए इसे शुरू भी करा दिया था, लेकिन विपक्ष इस बात को लेकर अड़ा रहा कि उन्होंने जिन नियमों के तहत चर्चा की मांग की थी, उसके तहत चर्चा कराई जाए। दोनों ही पक्षों के बीच जमकर नोक-झोंक व हंगामा भी हुआ। इस दौरान दोनों सदनों को कई बार स्थगित कर सहमति बनाने की कोशिश भी की गई, लेकिन बात नहीं बन सकी। दोनों ही पक्ष अपने-अपने तर्कों पर अड़े रहे।

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विपक्ष का जोरदार हंगामा

सोमवार को राज्यसभा में सभापति ने नियम-176 के तहत सोमवार को अल्पकालिक चर्चा की अनुमति देते हुए असम गण परिषद के वीरेंद्र कुमार वैश्य से इसकी शुरूआत करा दी , लेकिन विपक्ष के जोरदार हंगामे के चलते चर्चा आगे नहीं बढ़ सकी। इस बीच विपक्ष का कहना था कि 64 सांसदों ने पत्र लिखकर 20 जुलाई को ही नियम 267 के तहत चर्चा की मांग थी। इस पर सभापति ने जवाब दिया कि उनकी इस मांग को उसी दिन खारिज कर दिया था। ऐसे में उनकी ऐसी कोई भी मांग उनके पास लंबित नहीं है। इस पर विपक्ष और आक्रोशित हो गया।

दिन भर के लिए सदन स्थगित

इस बीच हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही को चार बार स्थगित कराना पड़ा, लेकिन जब कोई सहमति बनते नहीं दिखी तो सदन को दिन भर के लिए स्थगित कर दिया गया। इस मुद्दे पर सभापति ने सत्ता और विपक्ष के बीच सहमति बनाने की कई कोशिशें भी की, लेकिन कोई भी नतीजा नहीं निकला। आखिर में सदन को साढ़े तीन बजे दिन भर के लिए स्थगित कर दिया।

लोकसभा में दिनभर हंगामा

लोकसभा में भी मणिपुर हिंसा पर चर्चा के मुद्दे को लेकर दिन भर हंगामा होता रहा है। संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि सरकार चर्चा के लिए तैयार है। गृह मंत्री जी पिछले तीन दिनों से सदन में चर्चा में हिस्सा लेने के लिए मौजूद है। वहीं गृह राज्य मंत्री स्थिति को सामान्य बनाने के लिए मणिपुर में पिछले करीब 20 दिनों में लगातार जमे है। ऐसे में हिंसा पर शिथिलता बरतने के विपक्ष के आरोपों में कोई दम नहीं है। उन्होंने विपक्ष पर खुद ही चर्चा से भागने और राजनीति करने का आरोप लगाया।

सीतारमण की तीखी प्रतिक्रिया

सदन के बाहर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी विपक्ष के रुख पर तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा कि '20 जुलाई से वह मणिपुर पर जिस चर्चा की मांग कर रहे थे और दोनों सदनों में हंगामा कर रह थे अब क्यों वह चर्चा से भाग रहे है। उन्हें दोनों ही सदन को बताना चाहिए कि वह मणिपुर में क्या देखकर आए है। सिर्फ घड़ियाली आंसू बहाने से काम नहीं चलेगा। देश इसे देख रहा है।'

गौरतलब है कि नियम 267 के तहत सदन के सारे विधायी काम को रोककर सिर्फ उसी मु्द्दे पर ही चर्चा होती है। वहीं नियम 176 के तहत अल्पकालिक चर्चा होती है, जो एक ही दिन में कुछ घंटे की होती है। जिसमें सभी दलों को बोलने का मौका दिया जाता था।