नई दिल्ली, कांग्रेस ने मणिपुर पर चर्चा कराने के लिए गृहमंत्री अमित शाह के दिए बयान को यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि यह पेशकश सिर्फ हेडलाइन को मैनेज करने के लिए दिया गया है। पार्टी के संचार महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि यह वाजिब मांग है कि प्रधानमंत्री पहले मणिपुर पर सदन में बयान दें और उसके तुरंत बाद ही चर्चा होगी। जयराम रमेश ने गृहमंत्री की पेशकश के बाद सवाल उठाया कि संसद के भीतर प्रधानमंत्री के पहले बयान देने में क्या झिझक है?

प्रधानमंत्री अपने अधीनस्थों के पीछे छुपे हुए हैं

कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने भी टवीट करते हुए कहा 'संसद इसीलिए नहीं चल पा रही क्योंकि प्रधानमंत्री सीधे सवालों का सामना करने से डरते हैं। प्रधानमंत्री अपने अधीनस्थों के पीछे छुपे हुए हैं। पूरा देश उबल रहा है क्योंकि उन्होंने इस संकट को नियंत्रण से बाहर जाने दिया है और ऐसी मौत और विनाश के समय उनकी चुप्पी बेहद शर्मनाक है।'

लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने कहा कि मणिपुर की हिंसा में हुई हैवानियत की घटनाओं ने राज्य और केंद्र सरकार की नाकामी जाहिर कर दी है। अमेरिका की संसद में भाषण देने वाले पीएम मोदी अपने देश की संसद में क्यों नहीं बोलते।

गृहमंत्री का बयान गलत

असम के मुख्यमंत्री हिमंता विश्व सरमा से लेकर हमलावर केंद्रीय मंत्रियों को आड़े हाथों लेते हुए गोगोई ने कहा कि वे विपक्ष को चुप कराने के लिए बाउंसर की भूमिका निभा रहे हैं। शक्ति सिंह गोहिल ने कहा कि पीएम से बयान की मांग हमारी जिद नहीं बल्कि मणिपुर के हालात को देखते हुए पूरे देश की उम्मीद है और ऐसे में गृहमंत्री का बयान गलत और गुमराह करने वाला है।