*सती शिव संवाद से आज के परिवार को सीख लेना चाहिए: प्रमोद कृष्ण जी महाराज*
पन्ना शहर के बेनीसागर तालाब के सामने संकल्प गार्डन के समीप चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन कथा व्यास प्रमोद कृष्ण महाराज ने शिव पार्वती विवाह और शुकदेव जन्म की के रोचक कथा का वर्णन किया। भागवत कथा को सुनने के लिए आसपास के सैकड़ों भक्त पहुंचे। भगवान के जयकारे लगातार लग रहे। कथा रोजाना 3 बजे से 7 बजे तक हो रही है।
कथा व्यास प्रमोद कृष्ण महाराज ने भक्तों को बताया कि हिमालय राज की कन्या पार्वती बड़ी होने लगती हैं। पार्वती ने मन में प्रण लिया की वह शिव को पति के रूप में प्राप्त करेंगी। देवता भी शिव को मनाते हैं कि वह पार्वती से विवाह कर लें लेकिन शिव इसके लिए तैयार नहीं हुए। माता पार्वती शिव को प्राप्त करने के लिए कठिन तपस्या करती हैं। भगवान शिव प्रसन्न हो विवाह के लिए तैयार हो जाते हैं। देवताओं , भूत ,पिशाचों को लेकर तन में भस्म लगाए शिव बारात लेकर हिमालयराज के यहां पहुंचते हैं। माता मैना दूल्हे का भेष देखकर डर जाती हैं और पार्वती का विवाह करने से मना कर देती हैं। सभी ने समझाया कि शिव कोई साधरण नहीं हैं, वह तो देवों के देव महादेव हैं।
उन्होंने बताया कि मां पार्वती और भगवान शिव का विवाह होता है और देवता पुष्पों की वर्षा करते हैं। अगले प्रसंग में भगवान शिव माता पार्वती को अमर कथा सुना रहे हैं, माता को नींद आ जाती है और उनकी जगह एक तोता हुंकारी भरने लगता है। जब शिव को पता चला तो उन्होंने शुक को मारने के लिए त्रशूल छोड़ दिया। तीनों लोकों में भागता शूक व्यास के आश्रम पहुंचा और उनकी पत्नी के मुख से गर्भाशय में पहुंच गया। जहां वह बारह वर्ष तक रहे और भगवान कृष्ण के आश्वासन के बाद जन्म लिया।कथा व्यास श्री प्रमोद कृष्ण महाराज ने कहा कि शिव सती संवाद से आज के परिवारों को सीख लेना चाहिए।बिना बुलाए बुराई मानने वाले माता पिता मित्र के घर पर हो रहे उत्सव में शामिल नहीं होना चाहिए।
कथा के मुख्य श्रोता श्रीमती मूला बाई लोधी ,श्रीमती सुधा काशी प्रसाद लोधी हैं।
कथा आयोजक महेंद्र सिंह लोधी, लोकेंद्र सिंह लकी लोधी ने सभी भगवत प्रेमियों से अधिक से अधिक संख्या में पहुंचकर धर्म लाभ उठाने का आग्रह किया है।