भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने सोमवार को पेश अपनी आडिट रिपोर्ट में केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) के तहत दवाओं की खरीद और आपूर्ति श्रृंखला में कई खामियां उजागर की हैं।इसके चलते वेलनेस सेंटरों में दवाओं की कमी बनी रही। कैग की रिपोर्ट में स्वास्थ्य देखभाल संगठनों (एचसीओ) द्वारा किए गए दावों की प्रतिपूर्ति के संबंध में उल्लंघनों पर भी प्रकाश डाला गया है।
ओम धगाल - पूर्व प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य भाजपा युवा मोर्चा
ओम धगाल की और से हिंडोली विधानसभा क्षेत्र एवं बूंदी जिले वासियों को रौशनी के त्यौहार दीपावली की हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं
Weather Update Today: बंगाल की खाड़ी में बना लो प्रेशर एरिया, इन राज्यों में मूसलाधार बारिश की चेतावनी
आडिट में पाया गया कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने सीजीएचएस और सरकारी अस्पतालों के लिए मेडिकल स्टोर्स आर्गनाइजेशन (एमएसओ) द्वारा बनाए गए दवा फार्मूलरी का आवधिक संशोधन सुनिश्चित नहीं किया। जून 2015 के दवा फार्मूले को फरवरी 2022 में ही संशोधित किया जा सका। रिपोर्ट में कहा गया कि जून 2015 से फरवरी 2022 की अवधि के दौरान दवा फार्मूलरी में संशोधन न करने का मतलब है कि सीजीएचएस में खरीद प्रक्रिया में डाक्टरों द्वारा निर्धारित नई दवाओं को ध्यान में नहीं रखा गया।
जबलपुर में लूट के बाद महिला की निर्मम हत्या, घटनास्थल पर हाथ-पैर बंधा खून से लथपथ शव मिला
दवा फार्मूलरी सामान्य रूप से निर्धारित दवाओं और फार्मूलेशन (सूत्रीकरण) पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है, ताकि अधिक से अधिक संख्या में बीमारियों को यथोचित रूप से कवर किया जा सके और दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके। कैग ने कहा कि एमएसओ ने दवा फार्मूलरी में सूचीबद्ध सभी दवाओं की खरीद दरों को अंतिम रूप नहीं दिया। रिपोर्ट के अनुसार फार्मूलरी में सूचीबद्ध 2,030 दवाओं में से, 2016-17 से 2020-21 तक केवल 220 से 641 के लिए दर अनुबंधों को अंतिम रूप दिया गया। परिणामस्वरूप, सीजीएचएस फार्मूलरी में सूचीबद्ध दवाओं की खरीद नहीं कर सका, जिससे स्वास्थ्य केंद्रों में दवाओं की कमी हो गई।
Wife Murdered: गमछे से मुंह पोंछने पर बेटी को लात मारी, विरोध करने पर पत्नी को मौत की सजा
सीजीएचएस ने प्रविधान के लिए मंत्रालय द्वारा अनुमोदित दवाओं की पूरी मात्रा के लिए सरकारी मेडिकल स्टोर डिपो (जीएमएसडी) से कोई मांग नहीं की। जीएमएसडी ने सीजीएचएस को समय पर ढंग से और मांग के अनुसार पूरी मात्रा में इंडेंट दवाओं की आपूर्ति नहीं की। सीजीएचएस में 1,169 दवाओं की वार्षिक आवश्यकता के मुकाबले, वेलनेस केंद्रों में केवल छह से लेकर 290 दवाएं उपलब्ध रहीं।रिपोर्ट में कहा गया कि वेलनेस सेंटरों में दवाओं की कमी के कारण, अधिकृत स्थानीय केमिस्टों (एएलसी) के माध्यम से बड़ी मात्रा में दवाओं की खरीद की गई। दिल्ली में 2016-17 से 2020-21 तक एएलसी के माध्यम से दवाओं की खरीद पर 74.7 से 93.61 प्रतिशत खर्च हुआ।