नई दिल्ली,  पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव के दौरान हुई हिंसा को लेकर बीजेपी ने टीएमसी, कांग्रेस समेत अन्य विरोधी दलों को आड़े हाथ लिया है। बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ममता सरकार पर जमकर निशाना साधा है। संबित ने दावा किया है कि बंगाल में पंचायत चुनाव के नामांकन से लेकर अबतक कुल 45 लोगों की मौत हो चुकी है।

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बंगाल में लोकतंत्र की हत्या

बीजेपी नेता ने कहा कि जिस भूमि से कभी वन्दे मातरम के शब्द उपजे थे, आज उसी भूमि पर जिस प्रकार की हिंसा हो रही है वह अपने आप में अप्रत्याशित है। इससे पहले इस प्रकार की हिंसा न हमने सुनी थी और न ही देखी थी। चुनाव और हिंसा आज बंगाल में पर्यायवाची बन चुके हैं। पात्रा ने कहा कि 2018 के पंचायत चुनावों के दौरान मरने वालों की संख्या 23 थी। राज्य में 2013 के पंचायत चुनावों के दौरान, लगभग 15 लोग मारे गए थे। सचमुच पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र की हत्या हो रही है।

बंगाल में प्रायोजित हत्या

बीजेपी नेता ने आगे कहा कि केंद्रीय सुरक्षाबलों के होने के बावजूद बंगाल में 45 लोगों की हत्या हुई। ये दिखाता है कि प्रदेश सरकार किस प्रकार प्रायोजित तरीके से इन हत्याओं को अंजाम दे रही थी। बंगाल में लोकतंत्र की हत्या प्रायोजित है। इसमें पुलिस प्रशासन से लेकर जिला अधिकारी तक शामिल हैं। अगर यही दृश्य किसी भाजपा शासित राज्य से आ रहा होता तो हाहाकार मच गया होता। ये सारे नेता, जो हाथ पकड़-पकड़ कर राज्यों में खड़े होते हैं, कहां हैं ये सारे नेता? कहां हैं लालू प्रसाद यादव, कहां हैं नीतीश कुमार और कहां हैं 'मोहब्बत की दुकान' खोलने वाले राहुल गांधी?

संबित पात्रा का आरोप

बीजेपी ने ममता बनर्जी पर आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य सरकार ने संवेदनशील बूथों की संख्या की जानकारी छिपाई। उन्होंने कहा कि शांतिपूर्ण और उचित चुनाव प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय बलों को पश्चिम बंगाल भेजा गया था, लेकिन राज्य सरकार ने सुरक्षाबलों की उचित तरीके से तैनाती नहीं की। संवेदनशील बूथों के बारे में किसी भी तरह का कोई डेटा उपलब्ध नहीं कराया गया।

बीजेपी ने कहा कि कुछ बेशर्म लोग इतनी आसानी से लोकतंत्र की मौत बर्दाश्त कर सकते हैं, लेकिन अपनी महत्वाकांक्षाओं की मौत नहीं। ममता बनर्जी 'मां', 'माटी' और 'मानुष' की बात करती थीं। आज 'मां' रो रही है, 'माटी' खून से सनी हुई है, और 'मानुष' की हत्या हो गई है लेकिन निर्दयी बंद्योपाध्याय जी मूकदर्शक बन कर ये सब देख रहे हैं!