5 अगस्त को, बॉलीवुड अभिनेता अन्नू कपूर ने अपनी आने वाली फिल्म 'हम दो हमारे बाराह' का पहला पोस्टर जारी करके घोषणा की। पोस्टर से यह पता लगाया जा सकता है कि अन्नू एक मुस्लिम परिवार के मुखिया की भूमिका निभा रहा है, और उसके 11 बच्चे हैं, जबकि पत्नी अपने बारहवें बच्चे की उम्मीद कर रही है। कमल चंद्र द्वारा निर्देशित इस फिल्म को भारत में जनसंख्या विस्फोट पर एक कमेंट्री कहा जाता है।
हालांकि, पोस्टर मुस्लिम समुदाय के साथ सही नहीं बैठा है और 'खुले तौर पर इस्लामोफोबिक' होने और मुसलमानों को 'जनसंख्या विस्फोट के कारण' के रूप में चित्रित करने के लिए आलोचना की जा रही है। रविवार को राणा अय्यूब ने मुस्लिम समुदाय पर हमले के खिलाफ आवाज उठाने के लिए ट्विटर का सहारा लिया।
तभी से अन्नू कपूर और निर्देशक कमल चंद्रा की 'इस्लामोफोबिक' होने के लिए आलोचना हो रही है।
हालांकि, यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि यह पहली बार नहीं है जब किसी बॉलीवुड फिल्म की इस्लामोफोबिक होने के लिए आलोचना की गई है। पिछले कुछ वर्षों में, कई फिल्मों ने स्क्रीन पर मुसलमानों और इस्लाम के चित्रण के लिए मुस्लिम समुदाय को परेशान किया है।
इस तरह की फिल्मो की जो होड़ लगी है जिससे दो समुदायो के बिच दुरी पैदा करता है जो नफरत को जन्म देता है, इतना ही नहीं आज के मेहगांई के और पढ़ाई लिखाई के ज़माने में दो बच्चो से ज्यादा की कौन सोच रखता है ? हर पढ़ा लिखा समझदार मुसलमान दो बच्चों से ज्यादा की सोचहि नहीं सकता, जो दो बच्चों से ज्यादा बच्चे पैदा करते है या तो वोह अनपढ़ ना समझ लोग होते है जो हर समाज में पाए जाते है, जनसंख्या विशफोट के लिए सिर्फ मुस्लिम समाज को कटघरे में खड़ा करना सही नहीं
इसलिए, इस राइट-अप में, हमने हाल ही की 5 फिल्मों की एक सूची तैयार की है, जिन्होंने इस्लामोफोबिक होने के लिए विवाद को जन्म दिया।
हम दो हमारे बारह, कश्मीर फाइल्स, पद्मावत, सूर्यवंशी, लिपस्टिक अंदर माई बुरखा.
रिपोर्टर : वारिस सैयद