एक शोध में पता चला है कि हिमालय के पहाड़ों पर करीब 37 प्रतिशत अधिक बर्फ पाई गई है। पर्यावरणविद इसके लिए भारत में वर्ष 2020 में कोरोना वायरस के कारण लगे लाकडाउन को मुख्य कारण मान रहे हैं
27 मीट्रिक टन बर्फ को पिघलने से रोका गया
शोध में पता चला है कि लाकडाउन की अवधि 25 मार्च, 2020 से 31 मई, 2020 के दौरान हिमालय के पहाड़ों पर मानवजनित प्रदूषण और कार्बन उत्सर्जन में कमी के कारण 27 मीट्रिक टन बर्फ को पिघलने से बचा लिया गया। यह शोध अमेरिकी साइंस जर्नल 'प्रोसीडिंग्स आफ द नेशनल एकेडमी आफ साइंसेज' (पीएनएएस) में प्रकाशित हुआ है।
हिमालय के पहाड़ों पर बर्फ पिघलने में आई कमी
शोध के अनुसार, लाकडाउन के दौरान प्रदूषण और कार्बन उत्सर्जन में कमी के कारण हिमालय के पहाड़ों पर बर्फ पिघलने में कमी आई है। शोध में शामिल अध्ययन दल के सदस्य बीजिंग नार्मल यूनिवर्सिटी, चीन के लिकियांग झांग और उनके सहयोगियों ने पता लगाया कि लाकडाउन के दौरान मानवजनित प्रदूषण के उत्सर्जन में कमी के कारण बर्फ पर विकिरण में 71.6 प्रतिशत की कमी आई।
जलवायु परिवर्तन के कारण तेजी से पिघल रही बर्फ
बर्फ पर विकिरण में इस कमी से ही 27 मीट्रिक टन बर्फ को पिघलने से रोका जा सका। हिमालय के पहाड़ों पर बर्फ 20 प्रतिशत से अधिक वैश्विक आबादी के लिए मुख्य जल स्त्रोत के रूप में कार्य करती है। हालांकि जलवायु परिवर्तन के चलते इस क्षेत्र में हाल के दशक में बर्फ कहीं ज्यादा तेजी से पिघल रही है।
जलवायु परिवर्तन इन ग्लेशियरों के लिए एक बड़ा खतरा है। हिमालय के ग्लेशियर पहले के मुकाबले 10 गुना ज्यादा तेजी से पिघल रहे हैं। इसके चलते भारत सहित एशिया के कई देशों में जल संकट और गहरा सकता है