नई दिल्ली, सीएसआइआर-सेंट्रल इंस्टीट्यूट आफ माइनिंग एंड फ्यूल रिसर्च के पूर्व निदेशक पी के सिंह और मुख्य विज्ञानी ए के सिंह के खिलाफ सीबीआइ ने केस दर्ज किया है। सीबीआइ ने आरोप लगाया है कि दोनों ने साजिश रची, जिसके तहत सीआइएमएफआर के विज्ञानियों, तकनीकी अधिकारियों और प्रशासनिक कर्मचारियों को 2016 और 2021 के बीच मानदेय, बौद्धिक शुल्क और परियोजना शुल्क के रूप में 137.79 करोड़ रुपये का वितरण किया गया।
सीबीआइ का आरोप है कि परियोजना में लाइब्रेरियन, डॉक्टर और तकनीकी अधिकारियों को कोयले के नमूनों की जांच के लिए रुपये का भुगतान किया गया, जबकि इसमें उनका कोई योगदान नहीं था। सीएसआइआर के दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हुए 304 कोयला नमूना परियोजना की ओर से पी के सिंह को 15.36 करोड़ और ए के सिंह को 9.04 करोड़ रुपये बौद्धिक शुल्क के रूप में प्राप्त हुए थे।
सीएसआइआर कोयले के नमूनों की जांच का करती है काम
सीएसआइआर-सीआइएमएफआर (सेंट्रल इंस्टीट्यूट आफ माइनिंग एंड फ्यूल रिसर्च) कोयला कंपनियों की ओर से इस्तेमाल किए जाने वाले कोयले के नमूनों की जांच और विश्लेषण के लिए थर्ड पार्टी एजेंसी के रूप में कार्य करती है। कोयला उत्पादकों और ऊर्जा से जुड़ी कंपनियों से संस्था ने 10 वर्षों के लिए चार एमओयू साइन किया था।
इस समझौते में विशेष तौर पर कहा गया है कि कोयले की गुणवत्ता की जांच वार्षिक स्तर पर की जाएगी। साथ ही छोटी अवधि के लिए विभिन्न परियोजनाओं में इस समझौते का कोई उप विभाजन नहीं किया जाएगा। हालांकि, सीएसआइआर-सीआइएमएफआर की ओर से कई समझौतों को एक परियोजना में जोड़कर 304 कोयला नमूना परियोजनाएं बनाई गईं।