नई दिल्ली, गुजरात के तटीय इलाकों के साथ देश के कुछ अन्य हिस्सों के लिए चुनौती बने चक्रवात बिपरजॉय से मुकाबले की तैयारी में बड़ा योगदान पिछले कुछ सालों में आपदा प्रबंधन की दिशा में उठाए गए अहम कदमों का भी है। ये कदम नीति के स्तर पर सक्रियता के साथ संसाधन बढ़ाने और तकनीक में सुधार पर केंद्रित रहे हैं।
जान-माल के नुकसान में 98 प्रतिशत की कमी
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस दौरान आपदाओं से निपटने के लिए न केवल एनडीआरएफ को सशक्त किया है, बल्कि राज्यों को भी सहायता दी गई है। गुजरात में बिपरजॉय की चुनौती से निपटने के लिए गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार के साथ पहले से संवाद शुरू कर दिया था। इसके बाद पीएम ने भी समीक्षा बैठक की। एनडीआरएफ(NDRF) की 15 और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) की 12 टीमें गुजरात में तैनात की गई हैं।
गृह मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार यह सब पूर्व चेतावनी और पूर्व तैयारी आधारित दृष्टिकोण के तहत किया गया है। एक मजबूत अर्ली वार्निंग सिस्टम तथा फर्स्ट रेसपांडर व्यवस्था लागू करने से आपदा का मुकाबला करने में बड़ी सफलता मिली है। यह इन्हीं प्रयासों का प्रतिफल है कि चक्रवातों के कारण जान-माल के नुकसान में 98 प्रतिशत की कमी आई है।
पिछले नौ सालों में 22 डाप्लर वेदर रडार लगाए गए हैं, जबकि ऑटोमैटिक वेदर सिस्टम की संख्या 808 तक पहुंच गई है। इसी तरह पूरे देश में 200 एग्रो एडब्ल्यूएस सिस्टम लगाए गए हैं। 2014 के पहले इनमें से एक भी नहीं था।
अधिकारियों ने कहा कि पीएम ने आपदा प्रबंधन पर हमेशा जोर दिया है। इसी कारण पहली बार व्यावहारिक रूप आपदा प्रबंधन योजना शुरू हो सकी। फरवरी 2021 में नेशनल डिजास्टर मिटिगेशन फंड का गठन किया गया। इसके तहत 13693 करोड़ रुपये आवंटित किए जा चुके हैं।