नई दिल्ली, देश में बैंकिंग का विस्तार तो काफी तेजी से हो रहा है, लेकिन बैंकिंग ग्राहकों की सेवाओं की गुणवत्ता के बारे में यह बात भरोसे से नहीं कही जा सकती। आरबीआई अब बैंकों के ग्राहकों को बेहतर सेवा देने, उन्हें होने वाले बैंकिंग फ्रॉड से बचाने और अत्याधुनिक तकनीक के जरिए अंतरराष्ट्रीय स्तर की बैंकिंग सेवा देने की कोशिश कर सकता है। पिछले वर्ष केंद्रीय बैंक ने अपने निगमित निकायों में बैंकिंग सेवा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने पर सुझाव देने के लिए जो समिति गठित की थी, उसने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।
KYC नहीं होने पर बैंकों को ग्राहकों के बैंक खाते को बंद नहीं करने की सिफारिश
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर बीपी कानूनगो की अध्यक्षता में गठित इस उच्चस्तरीय समिति के सुझावों पर कितना अमल होगा, यह तो भविष्य पर निर्भर करेगा। वर्ष 2010 में भी केंद्रीय बैंक ने इसी विषय पर एम दामोदरन समिति गठित की थी। वर्ष 2011 में इसकी रिपोर्ट आई, लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि ग्राहकों की सेवा की स्थिति बेहतर हुई हो।
बहरहाल, कानूनगो समिति की एक महत्वपूर्ण सिफारिश यह है कि केवाइसी नहीं होने पर बैंकों को ग्राहकों के बैंक खाते को बंद करने का फैसला नहीं करना चाहिए। बैंक एक निश्चित अंतराल पर ग्राहकों की केवाइसी (पहचान का सत्यापन) सत्यापित कराते हैं। कई बार यह देखा गया है कि इस बारे में ग्राहकों को कोई सूचना दिए बगैर ही उनका खाता बंद कर दिया जाता है। समिति ने ऐसी व्यवस्था करने को कहा है कि जिससे बार-बार केवाइसी कराने की जरूरत ना हो।
प्रापर्टी के कागजात जल्द देने की बात
इसी तरह से होम लोन लेने वाले ग्राहकों को समय पर प्रापर्टी के कागजात देने की बात कही गई है। समिति ने कहा है कि आरबीआइ को ग्राहकों के अधिकार का एक चार्टर बना कर उसे बैंकों के लिए अनिवार्य करने पर विचार करना चाहिए। ग्राहकों के सेवा से संबंधित सारे नियमों को एक साथ संकलित करने का भी सुझाव दिया गया है ताकि पूरे बैंकिंग सेक्टर में एक जैसे बैंकिंग उत्पाद के लिए एक जैसी ही सेवा सुनिश्चित किया जा सके।
बैंककर्मियों को बेहतर व्यवहार करने की ट्रेनिंग देने का सुझाव
ग्राहकों की तरफ से शिकायतों को समय पर दर्ज कराने और उनका समय पर निपटारे को लेकर भी कुछ सफारिशे हैं। भारत में साल में एक करोड़ से ज्यादा बैंक ग्राहक तरह-तरह की सेवाओं या उत्पादों को लेकर शिकायतें करते हैं। इन सभी का एक कॉमन पार्टल बनाने का सुझाव है, ताकि वहां आसानी से शिकायतें भी दर्ज कराई जाए और उन पर क्या कार्रवाई हो रही है, यह पता लगाया जा सके। ग्राहकों की एक सामान्य शिकायत होती हैं कि कर्मचारी उनके साथ दुर्व्यवहार करते हैं। इसके लिए बैंककर्मियों को बेहतर व्यवहार करने की ट्रेनिंग देने का सुझाव दिया गया है।
डिजिटल फ्रॉड को रोकने के सुझाव
डिजिटल फ्रॉड को रोकने और इससे ग्राहकों की बेहतर सुरक्षा करने को लेकर भी सुझाव दिए गए हैं। जैसे साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर बैंक ग्राहकों के साथ हुए फ्रॉड को तेजी से दर्ज कराने, फ्रॉड की राशि को एक बैंक खाते से दूसरे बैंकों के खाते में ट्रांसफर करने पर रोक लगाने के लिए बैंकों के बीच तालमेल को बढ़ाने, स्क्रीन शेयरिंग को रोकने के लिए बैंकों के स्तर पर तकनीक उन्नयन करने की बात है।