नई दिल्ली, गेहूं की रिकार्ड खरीदारी के सहारे देश का खाद्यान्न भंडार फिर समृद्ध हो गया है। केंद्रीय पूल में गेहूं एवं चावल का संयुक्त बफर स्टाक 579 लाख टन को पार कर गया है। इसमें गेहूं का 312 लाख टन और चावल का 267 लाख टन से ज्यादा का स्टाक है। इस बार अब तक न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 264 लाख टन गेहूं की खरीदारी हो चुकी है।
पंजाब से हुई सबसे ज्यादा खरीद
यह पिछले वर्ष की कुल 188 लाख टन की खरीद से 74 लाख टन अधिक है। सबसे ज्यादा 121.27 लाख टन गेहूं की खरीद पंजाब से हुई है। गेहूं खरीद के एवज में 21 लाख 27 हजार किसानों के खाते में 47 हजार करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया जा चुका है। किसानों से एमएसपी पर गेहूं खरीद की अंतिम तिथि 30 जून है। रबी विपणन सत्र अप्रैल से मार्च के बीच होता है। गेहूं की अधिकतम थोक खरीद अप्रैल से जून के बीच होती है।
क्या कहते हैं अन्य राज्यों के आंकड़े
गेहूं प्रमुख रबी फसल है, जिसे सर्दियों में बोया जाता है। गेहूं खरीद में बिहार और उत्तराखंड की स्थिति बहुत खराब है। बिहार में दस लाख टन खरीद का लक्ष्य रखा गया था, जबकि अब तक सिर्फ 619 टन की खरीद हुई है। इसी तरह उत्तराखंड में दो लाख टन लक्ष्य के एवज में सिर्फ 189 टन की ही खरीदारी हो पाई। हिमाचल प्रदेश की स्थिति इन राज्यों से अच्छी है, जहां दो हजार 863 टन की खरीद हो सकी है।
मंत्रालय ने खरीद में वृद्धि का श्रेय बेमौसम बारिश के कारण प्रभावित गेहूं की गुणवत्ता में छूट, ग्राम एवं पंचायत स्तर पर खरीद केंद्रों को खोलने, सहकारी समितियों (पैक्सों), पंचायतों एवं आढ़तियों के माध्यम से खरीदारी के अलावा नामित खरीद केंद्रों के जरिये की गई खरीद को दिया है।