नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को संसद के नए भवन को राष्ट्र को समर्पित किया। इस दौरान नई संसद में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का संदेश पढ़ा गया। अपने संदेश में उपराष्ट्रपति ने कहा कि संसद का नया भवन देश के कोने-कोने के भिन्न-भिन्न श्रेष्ठ विचारों को प्रतिबिंबित करेगा। उपराष्ट्रपति के संदेश को राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने पढ़ा।

अपने संदेश में उपराष्ट्रपति ने कहा, 

भारतीय लोकतंत्र की अभूतपूर्व विकास यात्रा की इस महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक घड़ी और गौरव क्षण में, पूरे देश को हार्दिक बधाई देते हुए, मुझे अपार खुशी है। हमारा मौजूदा संसद भवन, आजादी मिलने से, आज दुनिया की एक बड़ी ताकत के रूप में भारत की पहचान बनने तक की ऐतिहासिक यात्रा, का गवाह है।

मुझे पूरा यकीन है कि इस 'अमृत काल' के दौर में बना, नया संसद भवन, आगे भी हमारी तेज प्रगति का साक्षी रहेगा। आत्मनिर्भर भारत बनाने से लेकर जनता की मूलभूत सभी जरूरतों की पूर्ति तक, देशवासियों को सशक्त बनाने से लेकर, समग्र गरीबी उन्मूलन तक, यह गौरवशाली भवन, भावी दशकों के दौरान, अनेक ऐतिहासिक पलों का अध्याय लिखेगा।

नई 'संसद', हमारी शाश्वत धाराओं का प्रतीक है। यह हमारी समृद्ध भारतीय वास्तुशिल्प परंपरा एवं सांस्कृतिक विरासत के साथ प्रगति - विकास के लिए आधुनिक टेक्नोलाजी को सर्वोत्तम तरीके से आत्मसात करने की हमारी क्षमता को भी प्रदर्शित करता है।

वैश्विक कोविड महामारी से उत्पन्न चुनौतियां, हमारे कर्मठ व प्रतिबद्ध श्रम शक्ति के अटल संकल्प को रोकने में विफल रहीं। यह भव्य देशज नयी संसद, गुलामी की मानसिकता से मुक्ति के हमारे राष्ट्रीय संकल्प का भी प्रतीक है।

मुझे बेहद खुशी है कि हमारी संसद का नया भवन, भारतीय मूल्यों-संस्कारों का प्रकाश स्तंभ है। इसमें हमारे मुल्क की विविधता, देश के हर कोने से लाई गई कलाकृतियां व मूर्तियां हैं, जो भारतीय कला तथा संस्कृति की श्रेष्ठतम प्रदर्शनी के रूप में, इसकी भव्यता में चार चांद लगाती हैं।

संसद को लोकतंत्र का मंदिर कहा जाता है। यह वर्तमान और भावी पीढ़ियों की आकांक्षाओं- हसरतों की सुचारू पूर्ति सुनिश्चित करने के साथ ही, सनातन परंपराओं तथा श्रेष्ट लोकतांत्रिक मानकों के संरक्षक के रूप में भी काम करता है।

संसद का यह भवन, देश के कोने-कोने के भिन्न-भिन्न श्रेष्ठ विचारों को प्रतिबिंबित करेगा। इनके बीच राष्ट्रीय सहमति बनाने की दिशा में इसका अमूल्य योगदान होगा।

मेरा दृढ़ विश्वास है कि संसद का नया भवन, नीतियों और विधानों के माध्यम से देश के हाशिये के लोगों को विशेष तरजीह देते हुए, सभी देशवासियों की आवश्यकताओं और आकांक्षाओं का सक्रियता से समाधान सुनिश्चित करेगा। इस तरह भारत की बुनियादी प्रतिबद्धता को और सुदृढ़ करेगा।

यह मुल्क लोकतंत्र का पालना है। दुनिया के सबसे पुराने एवं बड़े लोकतांत्रिक देश के रूप में भारत, लोकतांत्रिक मूल्यों और प्रक्रियाओं के वैश्विक फैलाव और संरक्षण में सहायक रहा है।

मैं आश्वस्त हूं कि सम्मान, महिमा, विज्ञान, महान संस्कृति का प्रतीक संसद का नया भवन, लोकतंत्र को जीवंत रखने एवं सुदृढ़ करने की दिशा में, हमारे सतत् प्रयासों को पुनः नई ऊर्जा और बल देगा और सफलता का मार्ग प्रशस्त करेगा।

यह कहते हुए मुझे अपार खुशी है कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी, जो आजादी के बाद जन्म लेने वाले हमारे मुल्क के पहले प्रधानमंत्री हैं, इस शानदार भवन का लोकार्पण कर रहे हैं। जैसा कि मैं अक्सर कहता हूं, और मेरा दृढ़ विश्वास है, कि संसद लोकतंत्र का मार्गदर्शक, 'ध्रुव तारा' यानी 'North Star' है।

संसद लोगों के जनादेश को प्रतिबिंबित करने वाला सबसे प्रामाणिक मंच है। किसी देश की नियति को दिशा देने में इसकी निर्णायक भूमिका असंदिग्ध है और यह प्रजातंत्र का मूल मंत्र और सार है।

तकनीकी रूप से सशक्त संसद निश्चित रूप से संसद सदस्यों को राष्ट्र की नियति को आकार देने के लिए अपनी ऊर्जा और प्रतिभा को श्रेष्ठतम रूप से उजागर करने में सक्षम बनाएगी, लोकतांत्रिक मूल्यों को प्रस्फुटित करना सुनिश्चित करेगी, लोकतंत्र के मंदिर के रूप में संसद की उदात्तता को बढ़ाएगी।

मुझे पूरी उम्मीद है कि नया भवन, भविष्य की भावी चुनौतियों के बीच भारत का पथ प्रदर्शक बनेगा। हमारी साझा उमंगों-आकांक्षाओं और अभिलाषाओं को सार्थक और सशक्त दिशा देगा।

हार्दिक शुभकामनाएं।