नए संसद भवन में 28 मई को स्थापित होने वाले ऐतिहासिक 'सेंगोल' को बनाने वाले वुमुदी बंगारू ज्वेलर्स के अध्यक्ष वुमुदी सुधाकर ने पीएम मोदी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि ऐतिहासिक सेंगोल को बनाने में एक माह का समय लगा है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी को राजदंड सौंपने की समान प्रक्रियाओं का पालन करना चाहिए।
सेंगोल बनाने में लगा इतने दिन का समय
उन्होंने कहा, "हम 'सेंगोल' के निर्माता हैं। इसे बनाने में हमें एक महीने का समय लगा है। यह चांदी और सोने की परत से बना है। मैं उस वक्त 14 साल का था। मेरे बड़े भाई उन निर्देशकों में से एक थे, जिन्होंने इसे बनाने का निर्देशन किया था। हम सेंगोल को सौंपने की समान प्रक्रियाओं को अपनाने के लिए पीएम मोदी के आभारी हैं।" उन्होंने कहा कि उस समय सेंगोल की कीमत करीब 50,000 रुपये थी।
75 साल बाद सेंगोल को किया जा रहा है याद
जौहरी वुमुदी बंगारू के परपोते वुमुदी बालाजी ने प्रधानमंत्री के इस फैसले को बहुत पुरानी यादों को ताजा करने वाला बताते हुए कहा कि आज 75 साल बाद 'सेंगोल' को याद किया जा रहा है। सरकार 1947 में हुई पूरी घटना को फिर से जीवंत कर रही है। हमारे लिए बहुत पुरानी यादें और एक खूबसूरत अहसास है कि हमारे पूर्वज इतिहास का हिस्सा थे और अब हम उस घटना को फिर से दोबारा देखने जा रहे हैं।
सत्ता के हस्तांतरण को दर्शाता है सेंगोल
मालूम हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। इस दौरान पीएम मोदी लोकसभा अध्यक्ष की सीट के बगल में इस ऐतिहासिक राजदंड 'सेंगोल' को स्थापित करेंगे। इस राजदंडा का अपना एक अलग ही ऐतिहासिक महत्व है। यह सेंगोल सत्ता के हस्तांतरण को दर्शाता है।